Thursday 6 June 2013

महज जुआ नहीं यह तो टेरर फाइनेंसिंग से जुड़ रहा है


 Published on 6 June, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
जुआ खेलने की देशवासियों को आदत बहुत पुरानी है। यह महाभारत काल से ही चली आ रही है। पिछले कुछ समय से सट्टेबाजी का खेल इतना बढ़ गया है कि हम अनुमान भी नहीं लगा सकते। बक्से और खोखे के  बीच चलने वाला क्रिकेट का काला बाजार अब यहां सट्टे का रूप ले चुका है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चलने वाले इस काले कारोबार में राजधानी में अकेले ही करीब 1500 बुकी बड़े बेखौफ इस खेल से जुड़े हुए हैं। राजधानी में ये बुकी एक दिन में लगभग 400 से 500 करोड़ रुपए के बीच का धंधा कर भारी मुनाफा कमा लेते हैं। यह सट्टा आखिर खेला कैसे जाता है? सट्टे से जुड़े एक कारोबारी ने बताया कि सट्टे का जन्म वहां से होता है, जब हम कोई शर्त लगाते हैं। कोई शर्त में कहता है कि आज इंडिया जीतेगी तो कोई कहता है कि बुरी तरह हारेगी और अपनी बात को सही और दूसरे की बात को गलत ठहराते हुए तब यों ही कह उठते हैंöतो हो जाए 50-50 रुपए की शर्त। यह शर्त ही सट्टे का दूसरा नाम है। पहले सट्टा इसी तरह घरों या दफ्तरों में मस्ती के लिए खेला जाता था,  लेकिन 80 के दशक में जब अंडरवर्ल्ड ने इसमें दिलचस्पी ली तो यह पेशा बन गया। आज यह करोड़ों का धंधा बन चुका है। सट्टे के इस पेशे में मूल रूप से दो किरदार होते हैं, बुकी और पंटर। बुकी उसे कहा जाता है जो बेट लेता है और जो बेट लगाता है उसे पंटर बोला जाता है। किसी भी मैच में जीत और हार का कितना भाव रहेगा, यह तय करने का अधिकार सिर्प बुकी को होता है। पंटर इस भाव पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। इसे इसी भाव पर या तो खेलना पड़ेगा या फिर खामोश रहना पड़ेगा। लंदन की एक वेबसाइट है बेट फेयर। किसी मैच में किसी टीम की जीत और हार का जो भाव वह फिक्स करती है अमूमन उसी भाव को बुकी इंडिया में फॉलो करते हैं। लेकिन हर गेंद या रन का रेट बुकी अपने हिसाब से मैच की बदलती स्थिति के हिसाब से फिक्स करते हैं। मसलन यदि 30 गेंद पर 30 रन जीत के लिए बाकी हैं और विकेट पांच शेष हैं तो बुकी सट्टे का रेट बहुत कम रखता है, यदि 12 गेंदों में 30 रन की चुनौती किसी टीम के पास है तो स्वाभाविक है कि सट्टे का भाव उसी हिसाब से बढ़ जाता है। इस खेल का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह महज जुआ नहीं जो हानि-लाभ के लिए खेला जाता है। मुंबई पुलिस ने एक अदालत को बताया कि आईपीएल मैच में सट्टेबाजी से होने वाली कमाई का इस्तेमाल आतंकवादी फंडिंग के लिए हो रहा है। पुलिस ने अदालत को सट्टेबाजी का गेम कितना बड़ा है इसकी जानकारी भी दी। इसमें हजारों ट्रेडर्स और बिजनेसमैन शामिल हैं। ये लोग भारत में एक लैंडलाइन नेटवर्प के जरिए इससे जुड़ते हुए हैं और आईपीएल सीजन में रोज करोड़ों की सट्टेबाजी करते हैं। मुंबई क्राइम ब्रांच ने अदालत को बताया कि इंग्लिश बेटिंग से जो पैसा आ रहा है, उसे किसी तरह से दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेजा जा रहा है। पैसा भेजने के लिए हवाला पैनल का इस्तेमाल किया जाता है। पुलिस इंस्पेक्टर नंद कुमार गोपाले ने बताया, हम इस बात को साबित कर सकते हैं कि कैसे पैसा दुबई भेजा रहा है और उसके  बाद पाकिस्तान पहुंच रहा है। इस पैसे का इस्तेमाल शायद आतंकवादी संगठनों की फंडिंग के लिए हो रहा है। अगर हमें मामले की जांच करने का मौका मिलता है तो हम इस कनेक्शन को साबित कर सकते हैं। हमारे पास 30 अंतर्राष्ट्रीय टेलीफोन नम्बरों की लिस्ट है। इसका इस्तेमाल आतंकवादी या आतंकवादी संगठन कर रहे थे। हमें इस मामले की और जांच करने की जरूरत है। जैसे मैंने कहा, यह महज जुए की बात नहीं रही यह तो सीधी आतंकवाद से जुड़ती नजर आ रही है।

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