Published on 5 June,
2013
अनिल नरेन्द्र
आम आदमी पार्टी (आप) पिछले कुछ महीनों से राजधानी दिल्ली
की सड़कों पर विभिन्न मुद्दों पर धरना, प्रदर्शन इत्यादि जोरों-शोरों से कर रही है।
यह तो सबको पता ही था कि आप के संयोजक अरविन्द केजरीवाल राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते
हैं। अब यह बात खुलकर सामने भी आ गई है। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविन्द केजरीवाल
ने रविवार को राजधानी का दिल कही जाने वाली नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया
है। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ पर्चा भरेंगे। यदि शीला अपनी मौजूदा
सीट नई दिल्ली छोड़कर किसी और सीट से चुनाव लड़ेंगी तो केजरीवाल भी उसी सीट से पर्चा
भरेंगे। केजरीवाल ने इस ऐलान के साथ ही भाजपा पर भी हमला बोला और कहा कि पिछले चुनावों
में पार्टी ने शीला दीक्षित के खिलाफ हमेशा कमजोर उम्मीदवार खड़े किए। लगे हाथ केजरीवाल
ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विजय गोयल को अपने व शीला के खिलाफ लड़ने की चुनौती दे डाली।
केजरीवाल ने कहा, हमने शीला के खिलाफ मुकाबला करने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि
दिल्ली शीला से निजात पाना चाहती है जो भ्रष्टाचार की प्रतीक बन गई हैं। उन्होंने कहा
कि भाजपा को दिल्ली की जनता पहले ही नकार चुकी है क्योंकि तीन बार से वह सत्ता से दूर
है। लोग भाजपा को ऐसी पार्टी के रूप में नहीं देखते जो कांग्रेस को हरा सके। दोनों
पार्टियां 15 साल से मैच फिक्सिंग में लगी हैं। आप ही नई दावेदार है और वही कांग्रेस
को हरा सकती है। इसके लिए आप पार्टी ने दिल्ली भर में अब तक 80 हजार प्रभारी नियुक्त
कर दिए हैं जिन्हें अगले 10 दिनों में सवा लाख तक कर दिया जाएगा। ये प्रभारी कॉलोनियों
में कांग्रेस के भ्रष्टाचार को जनता के बीच उजागर करने का काम करेंगे। केजरीवाल ने
राजनीति से वंशवाद को खत्म करने के लिए भाजपा को चुनौती दी कि वह ईमानदार प्रत्याशी
को ही टिकट दे। कुछ कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल से पूछा कि आप विजय गोयल के खिलाफ चुनाव
क्यों नहीं लड़ते तो पार्टी नेता कुमार विश्वास ने अपने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा
कि मच्छरों को मारने के लिए बोफोर्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता। शीला जी पिछले तीन
चुनावों में यहां जमी हैं और विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
1998 व 2003 के विधानसभा चुनाव में यह सीट गोल मार्केट के नाम से जानी जाती थी और परिसीमन
के बाद 2008 में यह सीट नई दिल्ली हो गई। यह दिल्ली की ऐसी सीट है, जहां पूरा हिन्दुस्तान
बसता है। राष्ट्रपति भवन परिसर, प्रधानमंत्री आवास से लेकर समूचा लुटियंस जोन, केंद्रीय
कर्मचारियों के आवास, एनडीएमसी, एम्स व सफदरजंग सरीखे अस्पतालों के स्टाफ क्वाटर, कनॉट
प्लेस, खान मार्केट, सुन्दर नगर, गोल मार्केट, बंगाली मार्केट तक यहां हिन्दुस्तान
के हर हिस्से के लोग मतदाता हैं, जिनका जाति, वर्ग के आधार पर विभाजन मुश्किल है। एक
अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में करीब 18 फीसदी दलित वोटर हैं। पिछले तीन चुनावों
में शीला को क्रमश 53.95 फीसदी, 64.44 फीसदी और 52.20 फीसदी वोट मिले। यदि चुनाव में
शीला के खिलाफ नाराजगी का वोट भी पड़ा तो वह भाजपा व आप दोनों को पड़ेगा, मत विभाजन
होगा। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक बनता है कि क्या अरविन्द केजरीवाल शीला को उनके ही
गढ़ में गम्भीर चुनौती दे पाएंगे?
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