Wednesday 19 June 2013

सवाल दिल्ली मेट्रो में सेफ जर्नी का


 Published on 19 June, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
बीते मंगलवार को शायद पहली बार ऐसा हुआ हो कि दिल्ली की बहुप्रतिष्ठित मेट्रो एक सुरंग में डेढ़ घंटे तक फंसी रही और यात्री परेशान हो गए। मेट्रो का यूं फंसना थोड़ा अटपटा जरूर लगा क्योंकि मेट्रो पर तो सारे देश को नाज है और इस तरह के हादसे से विश्वास को धक्का लगता है। केंद्रीय सचिवालय से उद्योग भवन के बीच डेढ़ घंटे तक सुरंग में मेट्रो अटकी रही। जांच से पता चला है कि यह समस्या मेट्रो सॉफ्टवेयर के कारण हुई। यह निष्कर्ष डीएमआरसी की तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने निकाला है। कमेटी के मुताबिक मेट्रो कोच को आपस में जुड़े होने की जानकारी ट्रेन के सॉफ्टवेयर के जरिए मिलती है, लेकिन बीते मंगलवार को केंद्रीय सचिवालय से आगे बढ़ते ही ड्राइवर को यह सिग्नल नहीं मिला और इस वजह से इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा, जिसके बाद ट्रेन पूरी तरह से सुरंग में फंस गई। ट्रेन में उस समय 1791 यात्री सवार थे, जिन्हें डेढ़ घंटे तक मशक्कत के बाद ट्रेन से निकाला जा सका। इसे देखते हुए डीएमआरसी प्रमुख मंगू सिंह ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निर्देश जारी किए कि सुरंग में लाइट व हवा की उचित व्यवस्था हो। प्राकृतिक बाधा पर अंधेरे में चमकने वाला पेंट किया जाए ताकि इस प्रकार का हादसा होने पर भी यात्रियों को सुरंग से बाहर निकालने में परेशानी पेश न आए। मेट्रो के इंजीनियर यह भी देखने में जुटे हैं कि भविष्य में इस प्रकार की घटना होने पर ब्रेक अप सिस्टम को और पुख्ता कैसे कर सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी होने के बाद यह फैसला किया गया है कि आठ कोच की ट्रेन में सॉफ्टवेयर में खराबी क्यों आई इसका पता लगाने के लिए जर्मन कोच कम्पनी को तलब किया जाएगा। इस हादसे के बाद मंगू सिंह ने कई अहम फैसले किए। सेफ जर्नी के लिए पांच कदम जरूरी हैं। अब अगर टनल में ट्रेन 10 मिनट से ज्यादा बिना लाइट और सही वेंटिलेशन के रुकती है तो मेट्रो के ऑपरेशनल मैनेजर यात्रियों को तुरन्त बाहर निकालने का ऑपरेशन शुरू कर दें। टनल के अन्दर लाइटिंग की व्यवस्था भी इस प्रकार की जाएगी कि रेस्क्यू ऑपरेशन के वक्त यात्रियों को अच्छी तरह रास्ता दिखाई दे। इसके साथ ही  बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान भी मेट्रो चलाएगी, जिसमें लोगों को बताया जाएगा कि इमरजेंसी में वे क्या करें। दिल्ली मेट्रो को अगर दिल्ली की यातायात लाइफलाइन कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इसका शुभारम्भ 24 दिसम्बर 2002 को शाहदरा-तीस हजारी लाइन से शुरू हुआ था और आज यह कई रुटों पर चल रही है। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कम्पनी रोटम द्वारा किया गया है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे पहले परिवहन का ज्यादातर बोझ सड़क पर था। प्रारम्भिक योजना इसे छह मार्गों पर चलाने की थी जो धीरे-धीरे बढ़ती गई और आज इसका विस्तार राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव और नोएडा तक हो गया है। दिल्ली मेट्रो की सफलता के कारण अब भारत के अन्य राज्यों में भी इसी तरह की मेट्रो चलाने की योजना बन रही है। यह खुशी की बात है कि मेट्रो प्रबंधक अन्य सरकारी विभागों की तरह यात्रियों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह नहीं हैं और सुरंग में फंसने के बाद तुरन्त भविष्य में ऐसा न हो इस कार्य पर जुट गए हैं।

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