Tuesday, 4 June 2013

स्पॉट फिक्सिंग पर बुलाई गई बैठक खुद थी `फिक्स'


 Published on 4 June, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
 सारे देश के क्रिकेट प्रेमियों की नजरें रविवार को होने वाली बीसीसीआई की आपातकाल बैठक पर टिकी हुई थीं। बैठक तो हुई पर नतीजा सिफर रहा। वह कहावत है कि खोदा पहाड़ और निकला चूहा। वही एक तरह से इस बैठक में हुआ। स्पॉट फिक्सिंग मामले में दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स टीम के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन का नाम आने के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन को इस्तीफा देने पर मजबूर करने की सारी कवायद व बिल्डअप रविवार को बेकार हो गई। लगभग ढाई घंटे तक चली बीसीसीआई कार्यसमिति की बैठक स्वयं `फिक्स' थी। श्रीनिवासन ने सारे दबावों के बावजूद अध्यक्ष पद नहीं छोड़ा। हां, इतना जरूर किया कि जांच समाप्त होने तक सिर्प अध्यक्ष पद से दूर रहेंगे और तब तक पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया क्रिकेट बोर्ड के रोजमर्रा के कामकाज देखने व चलाने के लिए अंतरिम व्यवस्था के तौर पर चार सदस्यीय पैनल की अध्यक्षता करेंगे। यानी जगमोहन डालमिया को अंतरिम अध्यक्ष तक नहीं बनाया गया। श्रीनिवासन ने बाद में कहा कि मैंने घोषणा की है कि जांच पूरी हो जाने तक मैं अध्यक्ष पद नहीं छोड़ूंगा। बैठक के दौरान मुझसे किसी ने इस्तीफा देने के लिए भी नहीं कहा। आईएस बिन्द्रा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सिवाए मेरे बैठक में किसी ने भी श्रीनिवासन से इस्तीफा नहीं मांगा। बैठक में हंगामे जैसी कोई बात नहीं हुई। विभिन्न खेमों में बंटी बीसीसीआई में लगता है कि कोई सहमति नहीं बन पाई। शरद पवार समर्थक गुट चाहता था कि श्रीनिवासन इस्तीफा दें और शशांक मनोहर को उनकी जिम्मेदारी मिले, लेकिन बाकी सदस्यों के एकजुट हो जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। आईएस बिन्द्रा और कुछ अन्य सदस्यों ने वर्किंग कमेटी के फैसलों पर आपत्ति की लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया। अरुण जेटली, राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर जैसे दिग्गजों ने भी श्रीनिवासन के प्रति नरम रुख अपनाया। पब्लिक में ये नेता कुछ कहते हैं और अन्दर मीटिंग में कुछ और करते हैं। श्रीनिवासन तो डूबेंगे ही पर इन्हें भी जरूर साथ ले डूबेंगे। इन राजनेताओं का दोहरा चेहरा एक बार फिर एक्सपोज हो गया है। यह बैठक महज एक आंखों में धूल झोंकने वाली बकवास मीटिंग रही। लगता तो यही है कि इस हमाम में सभी नंगे हैं। नतीजा सिफर है। श्रीनिवासन ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से किनारा करने की बात तो कही है लेकिन अहम मुद्दों पर आखिरी फैसला लेने का अधिकार अब भी उन्हीं के पास होगा क्योंकि उन्होंने बीसीसीआई चीफ पद से इस्तीफा नहीं दिया है। बोर्ड के संविधान के मुताबिक सारी ताकत बोर्ड प्रेजिडेंट में निहित है। ऐसे में साफ है कि सभी फैसलों पर अध्यक्ष की मुहर जरूरी होगी। इसी हैसियत से वह आईसीसी में भारत के प्रतिनिधित्व करने के लिए भी स्वतंत्र होंगे। अब देखिए फिक्सिंग करने के लिए बुलाई गई यह महत्वपूर्ण बैठक कैसे `फिक्स' की गई? एन. श्रीनिवासन को हटाने के लिए पन्द्रह दिन से मचा शोर उस समय थम-सा गया जब बोर्ड की आपात बैठक बुलाने की बात कही गई। मगर शनिवार को जब इस बैठक का वेन्यू बदल कर मुंबई से चेन्नई कर दिया गया और शाम होते-होते बैठक का समय भी 11 से बदलकर ढाई बजे कर दिया गया तो क्रिकेट के तमाम जानकारों ने इस बैठक के सम्भावित नतीजों का अनुमान लगा लिया था। यानी सब कुछ पूर्व नियोजित था। बीसीसीआई के पास मुंबई स्थित चर्च गेट पर क्रिकेट सेंटर के नाम से आलीशान मुख्यालय होने के बावजूद यह  बैठक चेन्नई के एक पांचतारा होटल में क्यों बुलाई गई और  बैठक का समय दोपहर बाद क्यों बदला गया, इसका जवाब दिल्ली में  बैठे बीसीसीआई के दो सदस्यों तक के पास नहीं है जबकि इन दो सवालों पर शनिवार से चर्चा शुरू हो गई थी और बीसीसीआई के बाहर विरोध करने वाले इन दोनों  बदलावों के अलग कयास लगा रहे थे। श्रीनिवासन ने न केवल अपनी कुर्सी बचा ली बल्कि उनका विरोध करने वाले राजनेताओं को भी बता दिया कि वह खेल संघों की राजनीति में आधे-अधूरे हैं। बैठक में सभी सदस्य चुप रहे केवल एक सदस्य आईएस बिन्द्रा ने ही इस्तीफे की मांग की जबकि कहा जा रहा था कि बोर्ड के 30 में से 20 सदस्य श्रीनिवासन के खिलाफ हैं मगर आपात बैठक में यह सब क्यों शांत रहे इसका जवाब देने के लिए अब यही सदस्य मीडिया से बच रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बैठक का वेन्यू इसलिए बदला गया क्योंकि मुंबई में क्रिकेट प्रेमी हंगामा कर सकते थे और शरद पवार का यह गढ़ है। श्रीनिवासन इन दिनों पूर्व अध्यक्ष शरद पवार के सख्त विरोधी हैं। महाराष्ट्र में पवार समर्थकों को यह बात अच्छी तरह से मालूम है। मुंबई में यदि बैठक से पहले ही हंगामा हो जाता तो कुछ उम्मीद थी कि बिन्द्रा जैसे सदस्यों के साथ कुछ और सदस्य आ जाते लेकिन चेन्नई में ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि जो भी हुआ वह सब पहले से प्रायोजित था। बैठक का समय बदलने के पीछे भी कारण बताया गया कि आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष राजीव शुक्ला सहित कुछ और सदस्यों ने भी इस बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया था। लेकिन बीसीसीआई पदाधिकारियों ने अन्य सदस्यों को यह तर्प देकर बैठक का समय बदल दिया कि कुछ सदस्य दिल्ली व भोपाल से सुबह विमान से आ रहे हैं। बाद में जब यह सदस्य नहीं पहुंचे तो उन्हें टेलीफोन कर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक में शामिल कर लिया गया। दरअसल श्रीनिवासन ने जब इस्तीफे का मन बना लिया था तो उनके समर्थकों ने उन्हें यह समझाया कि यदि वह बाहर हुए तो उनका हश्र कहीं आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी जैसा न हो। जहां तक बीसीसीआई उपाध्यक्ष अरुण जेटली का सवाल है तो जब उन्होंने देखा कि कांग्रेस हाई कमान की सख्ती और प्रधानमंत्री की तीखी टिप्पणी के तत्काल बाद राजीव शुक्ला ने इस्तीफा दे दिया तो चुनावी वर्ष होने के चलते उन्होंने कार्यवाहक अध्यक्ष बनने की पेशकश ठुकरा दी क्योंकि चुनाव अभियान उनके जिम्मे रहता है। इसलिए उन्होंने डालमिया के साथ शशांक मनोहर का नाम प्रस्तावित किया और चूंकि शशांक मनोहर बोर्ड में नहीं हैं इसलिए जगमोहन डालमिया पर ही मुहर लगनी थी और वह भी श्रीनिवासन की शर्तों पर। जैसा हमने ऊपर कहा, इस हमाम में सभी नंगे हैं।

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