Sunday 28 February 2021

राज्यपाल और सरकारों के बीच बढ़ता टकराव

राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों को लेकर टकराव की खबरें आए दिन आती रहती हैं। कई गैर-भाजपा शासित राज्यों में फैसलों को लेकर टकराव की स्थिति बन रही है। कुछ मुख्यमंत्रियों का आरोप है कि राज्यपाल सरकार के काम में ज्यादा दखल दे रहे हैं। वहीं राज्यपाल गलत फैसलों को मंजूरी न देने की बात कहते हैं। पुडुचेरी में हाल में पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी व पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी के बीच चार वर्ष चली तकरार ताजा उदाहरण है। इसी तरह पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली में भी दोनों पक्षों के अधिकारों को लेकर एक दूसरे पर हमलावर हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच कई बार खुलकर मतभेद सामने आए हैं। राज्यपाल अकसर राज्य व पुलिस पर ममता बनर्जी सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाते रहे हैं। कुछ समय पहले नेताओं पर हमले की घटनाओं पर राज्यपाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर ममता सरकार को चेतावनी भी दी। कोरोना से निपटने को लेकर भी दोनों में आए दिन जुबानी जंग होती रहती है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी को सरकारी विमान से प्रदेश के बाहर यात्रा नहीं करने से पता लगता है कि दोनों के बीच खाई कितनी गहरी हो चुकी है। सरकार राजभवन में बनें हेलीपैड को भी बंद करने का फैसला कर चुकी है। इससे पहले विधान परिषद में राज्यपाल कोटे की 12 सीटों पर मनोनयन को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार ने नौ महीने पहले नाम भेजे, जिन्हें अब तक राजभवन से मंजूरी नहीं मिली। कंगना रनौत से लेकर तमाम अन्य मुद्दों को लेकर दोनों में आपसी जंग चरम पर पहुंच चुकी है। वहीं अगर हम राजधानी दिल्ली की बात करें तो उपराज्यपाल अनिल बैजल और सीएम अरविन्द केजरीवाल के बीच अधिकारों को लेकर अकसर लड़ाई सामने आती रहती है। दोनों के बीच पूर्व सैनिकों के मुआवजे से टकराव की शुरुआत हुई। दिल्ली सरकार में नौ सलाहकारों को हटाने को लेकर भी विवाद हुआ। मोहल्ला क्लीनिक से जुड़ी फाइल पास करवाने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सात घंटे तक अनिल बैजल के दफ्तर में बैठे रहे। दोनों में टकराव इतना बढ़ गया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की। इससे कुछ समय तक केजरीवाल और बैजल में शांति बनी रही पर यह थोड़ी देर तक ही चली। स्थिति फिर वहीं पहुंच गई। मुख्यमंत्री केजरीवाल का मानना है कि उपराज्यपाल केंद्र की भाजपा सरकार के इशारों पर काम करते हैं और अकसर उनके प्रगतिशील कदमों को रोकने का प्रयास करते हैं। दर्जनों फाइलें बैजल दबाकर बैठे हैं। दिल्ली में अगले साल नगर निगम चुनाव होने हैं। खतरा इस बात का है कि यह टकराव बढ़ सकता है। क्योंकि केंद्र की भाजपा सरकार यह नहीं चाहती कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार जरूरत से ज्यादा लोकप्रियता हासिल करे। राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों का टकराव पुराना है और आगे भी चलेगा क्योंकि हमारे संविधान में कई बातें स्पष्ट नहीं हैं, खासकर राज्यपाल, उपराज्यपाल और चुनी हुई सरकार के बीच अधिकारों का स्पष्ट विभाजन नहीं है। -अनिल नरेन्द्र

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