Wednesday 24 February 2021

लॉकर की सुरक्षा बैंकों का दायित्व

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि बैंकों में लॉकर की सुरक्षा व संचालन में जरूरी सावधानी बरतना बैंकों का दायित्व है। बैंक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। ग्राहक बैंक में लॉकर सुविधा यह सुनिश्चित करने के लिए लेता है कि वहां उसकी सम्पत्ति और चीजें सुरक्षित रखी जाएंगी। इस जिम्मेदारी से बैंकों के हाथ झाड़ने से न सिर्प उपभोक्ता संरक्षण कानून के प्रावधानों का उल्लंघन होगा, बल्कि निवेशक का भरोसा भी टूटेगा। कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को आदेश दिया है कि वह छह महीने के भीतर लॉकर सुविधा या सुरक्षित धरोहर प्रबंधन के बारे में उचित रेगुलेशन जारी करे। कोर्ट ने साफ किया है कि बैंकों को इस बारे में एकतरफा नियम तय करने की छूट नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही बैंक लॉकर प्रबंधन के बारे में बैंकों के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। आरबीआई का नियम जारी होने तक बैंकों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। यह फैसला शुक्रवार को न्यायमूर्ति एमएम शांतन गौडर और विनीत सरन की पीठ ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ दाखिल एक ग्राहक अमिताभ दासगुप्ता की याचिका पर सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूनाइटड बैंक ऑफ इंडिया को उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत सेवा में कमी का जिम्मेदार ठहराते हुए याचिकाकर्ता को पांच लाख रुपए हर्जाना और एक लाख रुपए मुकदमे के खर्च अदा करने का आदेश दिया है। अमिताभ दासगुप्ता ने बैंक पर आरोप लगाया था कि लॉकर का किराया देने के बावजूद बैंक ने समय से किराया अदा न करने के आधार पर उसका लॉकर उन्हें बताए बगैर तोड़ दिया। लॉकर तोड़ने की सूचना भी नहीं दी। जब वह करीब सालभर बाद लॉकर संचालित करने बैंक गए, तब उन्हें इसकी जानकारी हुई और बैंक ने लॉकर में रखे उनके सात आभूषण वापस नहीं किए। सिर्प दो ही आभूषण वापस किए। बाद में यह मामला राज्य उपभोक्ता आयोग और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग तक पहुंचा और दोनों ही जगह से याचिकाकर्ता को दीवानी अदालत जाने के लिए कहा गया था। इसके बाद याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत पहुंचा। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहाöबिना तर्पसंगत कारण के बैंक ने याचिकाकर्ता का लॉकर उसे बताए बगैर तोड़ दिया। इस तरह बैंक ने ग्राहक के प्रति सेवा प्रदाता के तौर पर अपने दायित्व की अवहेलना की है। -अनिल नरेन्द्र

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