Sunday 14 February 2021
कांग्रेस की निगाहें चार राज्यों के जाटलैंड पर
किसान आंदोलन से उपजे आक्रोश की लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने उत्तरी भारत के चार प्रमुख राज्यों के जाट समुदाय को अपने पक्ष में करने का अभियान छेड़ दिया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार को उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के चिकलाना में आयोजित किसानों की महापंचायत में शामिल हुईं। यह वही क्षेत्र है जहां कांग्रेस ने अपना जनाधार खो दिया था। वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी भी राजस्थान के जाट बहुल इलाकों में रैलियों की शुरुआत कर रहे हैं। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में उनकी दो रैलियां 12 और 13 फरवरी को आयोजित हुईं। हरियाणा में कांग्रेस अपने परंपरागत जाट वोट को एकजुट रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मैदान में उतारे हुए हैं। पंजाब में भी पार्टी की यही रणनीति है। जाट नेता राकेश टिकैत के पुलिस कार्रवाई के दौरान रोने की घटना से पूरा जाट समुदाय आक्रोश में है। ऐसे में अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस ने उन पर सियासी दांव लगाया है। जयंत चौधरी ने भी बुधवार को बुलंदशहर में किसानों की महापंचायत में भाग लिया। कांग्रेस की नजर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बहुल सीटों पर है। यहां 12 प्रतिशत जाट हैं। इस क्षेत्र की 44 विधानसभा सीटों में मजबूत मौजूदगी है। भाजपा ने 2017 में चुनाव में इनमें से 37 सीटें जीती थीं। अगर यह वोट शेयर शिफ्ट होता है और कांग्रेस-रालोद गठबंधन के साथ जाता है तो अल्पसंख्यक वोट के साथ यह अपराजेय समीकरण बन सकता है। दूसरी ओर जाट वोटों के खिसकने से भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है। पश्चिमी यूपी में उसे 43.6 प्रतिशत वोट मिले थे। प्रदेश के कुल 41 प्रतिशत वोट से यह दो प्रतिशत ज्यादा था। एक चुनाव सर्वे के मुताबिक पिछले आम चुनाव में 70-85 प्रतिशत जाटों का वोट भाजपा को मिला था। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव से पहले 20 प्रतिशत से भी कम वोट जाटों ने भाजपा को दिया था। राजस्थान में भी नौ प्रतिशत वोटों के साथ जाट समुदाय सबसे बड़ा जातीय गुट है। राज्य में 200 सदस्यों की विधानसभा में कम से कम 37 सीटें जाट बहुल हैं। मारवाड़ और शेखावटी क्षेत्र की 31 सीटों पर 25 जाट नेता ही जीतकर आए। पार्टी विधानसभा के साथ लोकसभा में भी जाट वोट जोड़ना चाहती है।
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