Tuesday, 9 February 2021
जो सच बोलता है उसे देशद्रोही और गद्दार कहा जाता है
शिवसेना सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को रिपब्लिक टीवी प्रमुख अर्नब गोस्वामी का मामला संसद में उठाया। संजय राउत ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए मामला उठाया। राउत ने राज्यसभा में केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोल दिया। राउत ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान कह रहे हैं कि सच सुना करो उससे मोक्ष प्राप्ति होती है। हम तो छह साल से सच सुन रहे हैं और झूठ को भी सच मान रहे हैं। लेकिन आज जो देश में माहौल है उसमें जो सच बोलता है उसे गद्दार और देशद्रोही कहा जाता है। जो सरकार से सवाल पूछता है उस पर देशद्रोह का मुकदमा लगा दिया जाता है। हमारे सदन के साथी संजय सिंह पर देशद्रोह का मुकदमा है। जाने-माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई, जिसे सरकार ने पद्मश्री दिया है उस पर भी देशद्रोह का मुकदमा लगा दिया है। शशि थरूर, जिन्होंने यूएन में भारत के लिए काम किया, उन पर भी देशद्रोह का मुकदमा लगा दिया गया है। सिंघु बॉर्डर पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के साथ भी ऐसा ही किया गया है। संजय राउत ने कहाöहमारे कानून की किताब में आईपीसी की सारी धाराएं खत्म कर दी गई हैं और केवल देशद्रोह का कानून रखा गया है। मोदी को प्रचंड बहुमत मिला है। हम इस बात को मानते हैं। लेकिन बहुमत अहंकार से नहीं चलता है, बहुमत बड़ा चंचल होता है। हमारे मराठी के संत तुकाराम ने कहा है कि आपका जो निंदक है उसे आसपास रखना चाहिए। लेकिन आज के वक्त में जो भी सरकार की आलोचना करता है उसे बदनाम कर दिया जाता है। 26 जनवरी को हमारे तिरंगे का अपमान हुआ और हमारे प्रधानमंत्री दुखी हुए। पूरा देश दुखी हो गया। लेकिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान करने वाला किसका आदमी है? इस बात पर यह चुप रहते हैं। दीप सिद्धू अभी तक क्यों पकड़ा नहीं गया? 200 से ज्यादा किसानों को जेल में बंद कर दिया गया है। हमारे देश में अभी देशप्रेमी केवल अर्नब गोस्वामी हैं, जिसकी वजह से एक निर्दोष आदमी को महाराष्ट्र में आत्महत्या करनी पड़ी। कंगना रानौत देशप्रेमी हैं। अर्नब गोस्वामी ने बालाकोट की जानकारी सबको पहले ही बता दी और उसे सरकार की सुरक्षा मिली हुई है। यही अर्नब गोस्वामी ने हमारे मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के बारे में क्या नहीं लिखा है? प्रकाश के बारे में उसने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उस पर हम सबको शर्म आनी चाहिए। राउत ने कहा कि जब सिखों ने मुगलों से लड़ाई की तो उन्हें देशभक्त कहा गया, अंग्रेजों से लड़ा तो देशभक्त कहा गया और अब अपने हकों के लिए लड़ रहे हैं तो उन्हें खालिस्तानी कहा जा रहा है। किसान आंदोलन के समर्थन में 75 पूर्व नौकरशाहों की चिट्ठी। पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने शुक्रवार को एक खुले पत्र में कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के प्रति केंद्र सरकार का रवैया शुरुआत से ही प्रतिकूल और टकराव भरा है। जनसत्ता अखबार के मुताबिक दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग समेत 75 नौकरशाहों की ओर से हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि गैर-राजनीतिक किसानों को ऐसे गैर-जिम्मेदार प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है जिनका उपहास किया जाना चाहिए। जिनकी छवि खराब की जानी चाहिए और इन्हें हटाया जाना चाहिए। यह सभी लोग कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के हिस्सा हैं। पत्र में कहा गया है कि ऐसे रवैये से कभी कोई समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार वाकई मैत्रीपूर्ण समाधान चाहती है तो उसे आधे मन से कदम उठाने के बजाय कानूनों को वापस ले लेना चाहिए।
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