Thursday, 4 February 2021

निष्पक्ष और सही रिपोर्टिंग की जरूरत है

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को उकसाने या भड़काऊ टीवी कार्यक्रमों को लेकर केन्द्र सरकार के उदासीन रवैये पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस संदर्भ में कुछ नहीं किया है। उसने कहा कि इस तरह के लिए कार्यक्रमों को नियंत्रण करना न केवल एहतिहाती कदम होगा, बल्कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण भी है। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा को बंद किए जाने के मामले का हवाला देते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि निष्पक्ष और सही रिपोर्टिंग की जरूरत है लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब इसका इस्तेमाल उकसाने के लिए होता है। पीठ ने सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता से कहा कि बात यह है कि टीवी के कई कार्यक्रम ऐसे होते हैं जो उकसाने वाले होते हैं लेकिन सरकार इस संबंध में कुछ नहीं कर रही है। पीठ ने यह टिप्पणी गत वर्ष कोरोना महामारी की शुरुआत में निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात सम्मेलन को लेकर की गई मीडिया रिपोर्टिंग के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। रिपोर्टिंग में इस सम्मेलन में शामिल होने वाले लोगों पर देश के अलग-अलग हिस्से में कोरोना फैलाने का आरोप लगाए गए को पीठ ने कहा कि कई कार्यक्रम ऐसे हैं जो भड़काऊ होते हैं या फिर एक समुदाय विशेष पर प्रभाव डालते हैं। लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। 26 जनवरी को इंटरनेट और मोबाइल शटडाउन किया, क्योंकि किसान दिल्ली आ रहे थे। हम गैर विवादित शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तरह की समस्या कहीं भी उत्पन्न हो सकती है। निष्पक्ष और सही रिपोर्टिंग से समस्या नहीं है। समस्या तब उत्पन्न होती है, जब उकसावे वाली बात होती है। ये उसी तरह से महत्वपूर्ण है जिस तरह से पुलिस वालों के हाथ में लाठी होती है। ये कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए एहतियाती कदम है। हमारी चिंता उकसाने वाले टीवी कार्यक्रमों को लेकर है। कुछ न्यूज पर नियंत्रण जरूरी है। हमें नहीं पता कि सरकार ने आंखें बंद क्यों की हुई हैं? पीठ ने कहा, हम आपसे कहना चाहते हैं कि आप कुछ नहीं कर रहे हैं। लोग कुछ भी कह सकते हैं लेकिन हम टीवी कार्यक्रमों की बात कर रहे हैं, जिनमें उकसाने वाली प्रवृत्ति होती है। दंगे हो सकते हैं। लोगों की जान पर बन आती है। संपत्ति को नुकसान होता है। इन दिनों लोग कुछ भी बोलते हैं। जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन और न्यूज ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) जैसे निकाय हैं जिनका अपना सिस्टम है। हम ओटीटी के जमाने में हैं। डीटीएच और केबल सेवा भी है। हम इन सभी के लिए कुछ सिस्टम विकसित करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने पक्षकारों को तीन हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने को कहा। देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने टिप्पणी के दौरान कहा, सरकार ने दिल्ली में किसानों के आने (विजिट) की वजह से मोबाइल पर इंटरनेट बंद कर दिया। इस पर केन्द्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने विजिट शब्द पर आपत्ति जताई। तब सीजेआई ने स्पष्ट किया, मैं जानबूझकर गैर विवादित शब्द (विजिट) का इस्तेमाल कर रहा हूं।

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