Wednesday, 17 February 2021
भाजपा का पंजाब में क्या होगा?
किसान आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विरोध बहुत से राज्यों में खुलकर हो रहा है। खासकर पंजाब में तो भाजपा नेताओं का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। बीते नौ फरवरी को भाजपा के पंजाब अध्यक्ष अश्विन शर्मा स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिलने फिरोजपुर पहुंचे। वहां कोई अप्रिय स्थिति नहीं बने इसके लिए स्थानीय पुलिस को तैनात किया गया था। इसके बावजूद प्रदर्शन करने वालों ने अश्विन शर्मा के खिलाफ जमकर नारे लगाए। शर्मा अपनी कार में बैठकर जब जाने लगे थे कि अज्ञात प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार पर हमला बोल दिया। शर्मा वहां से सुरक्षित निकलने में कामयाब जरूर हुए लेकिन उनकी कार को नुकसान हुआ। शर्मा को फाजिल्का जिले के अबोहर शहर में भी ऐसे ही विरोध का सामना करना पड़ा। इससे पहले आठ फरवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय सांपला अपनी पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करने के अभियान पर निकले थे। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने उनकी कार रोककर नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने बीच-बचाव करके उन्हें शहर से बाहर निकाला। इससे उनका प्रचार अभियान बाधित हुआ। नवां शहर में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अश्विन शर्मा की एक सभा होनी थी। लेकिन सभा शुरू होने से पहले वहां विरोध करने वाले लोग जमा हो गए। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन विरोध प्रदर्शन करने वालों ने सभा स्थल तक जाने की सड़क को बंद कर दिया। आखिर में शर्मा को अपनी सभा ही स्थगित करनी पड़ी। भटिंडा में भाजपा उम्मीदवार जतिन कुमार साहिल और मोहन वर्मा के पोस्टर, बैनर इत्यादि को लोगों ने काले रंग से पोत दिया था। दोनों इसके खिलाफ पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर भी गए। पंजाब में स्थानीय निकाय चुनावों के रिजल्ट 17 फरवरी को आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा नेताओं को राज्यभर में विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। पार्टी नेता या तो अपने घरों के अंदर रहने को विवश थे या फिर वह अपने अभियान को गुपचुप ढंग से चलाने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि उनका विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग हर जगह पहुंच रहे थे। दरअसल केंद्र सरकार पिछले साल जून में तीन कृषि कानून का प्रस्ताव अध्यादेश के तौर पर लाई और तब से पंजाब में भाजपा नेताओं को ऐसे ही विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने इन अध्यादेशों को सितम्बर में कानून के तौर पर पारित करा लिया और इसके बाद दिल्ली में किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। वहीं दूसरी ओर पंजाब में भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। राज्य में 14 फरवरी को स्थानीय निकाय के चुनाव थे। ऐसे में आखिरी दौर के प्रचार में भी वह चाहकर पूरी ताकत नहीं झोंक पाई। इन चुनावों में आठ नगर निगमों और 109 नगर पालिका और नगर पंचायतों के चुनाव और उपचुनाव हुए। पंजाब में किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद में किसी भी स्तर के चुनाव का यह पहला मौका है और इसे राज्य में सक्रिय सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन चुनावों के बाद अगले साल की शुरुआत में ही राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। मौजूदा समय में कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। विपक्षी पार्टी के आरोपों को बहुत ज्यादा महत्व नहीं देते हुए मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने कहाöतथाकथित शहरी पार्टी निकाय चुनावों में आधे से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े नहीं कर पाई। कल्पना कीजिए कि ग्रामीण पंजाब में इनकी क्या स्थिति होगी? जिसे यह लोग कांग्रेसी कह रहे हैं यह आम किसानों का गुस्सा है। यह किसान विरोधी अहंकारी रवैये के खिलाफ है।
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