Sunday 28 February 2021

नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ

करीब 14 हजार करोड़ रुपए के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण का रास्ता अंतत साफ हो गया है। बृहस्पतिवार को प्रत्यर्पण के खिलाफ अपना मुकदमा नीरव मोदी हार गया। लंदन की एक अदालत ने कोरोना संक्रमण, खराब स्वास्थ्य, कमजोर साक्ष्य, न्याय नहीं मिलने की आशंका और भारतीय जेलों में खराब स्थिति जैसे नीरव मोदी के तर्कों को खारिज कर उसके प्रत्यर्पण की इजाजत दे दी है। वैसे नीरव के पास अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प खुला है। प्रत्यर्पण के खिलाफ नीरव मोदी की दलीलों को खारिज करते हुए जिला जज सैमुअल गूजी ने कहा कि नीरव मोदी का प्रत्यर्पण पूरी तरह से मानवाधिकार के दायरे में है। भारत में न्याय नहीं मिलने की आशंका की पुष्टि के लिए कोई ठोस सुबूत नहीं हैं। यही नहीं, जज ने फैसले में कहा कि लाइन ऑफ क्रेडिट को भुनाने में बैंक के अधिकारी समेत अन्य आरोपितों की मिलीभगत के पुख्ता सुबूत मौजूद हैं। यहां तक कि खुद नीरव मोदी भी पीएनबी को पत्र लिखकर भारी बकाया होने और उसे जल्दी चुकाने की बात स्वीकार कर चुका है। जज ने नीरव और उसकी कंपनी के जायज बिजनेस के दावों पर भी संदेह जताया है। अदालत ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि नीरव को इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील का अधिकार है। लेकिन उससे पहले ब्रिटेन के सैक्रेटरी ऑफ स्टेट होम अफेयर्स (गृहमंत्री) इस पर विचार करेंगे। मंत्री के फैसले के 14 दिन के भीतर नीरव मोदी हाई कोर्ट में अपील दाखिल कर सकता है। ध्यान देने की बात है कि जनवरी 2018 में पीएनबी के लाइन ऑफ क्रेडिट के माध्यम से 14 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के खुलासे के बाद नीरव मोदी परिवार सहित विदेश भाग गया था। सीबीआई और ईडी ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराया था। दिसम्बर 2018 में नीरव मोदी के हुलिया बदलकर लंदन में छिपे होने की पुष्टि हुई थी। मार्च 2018 में उसे लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया। इसी तरह घोटाले का दूसरा आरोपित मेहुल चोकसी एंटीगुआ फरार हो गया था। सरकार उसके प्रत्यर्पण के लिए भी कूटनीतिक प्रयासों में लगी हुई है। नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटेन की अदालत ने कहा कि उसकी मानसिक स्थिति लंदन की जेल से मुंबई के आर्थर रोड जेल भेजने के लिए ठीक है। नीरव की कानूनी टीम ने नीरव और उसके परिवार के अवसाद में होने और आत्महत्या की प्रकृत्ति की दलीलें दी थीं। जज ने स्वीकार किया कि लंदन की जेल में रहने से उसकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ा है। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि प्रत्यर्पण किए जाने से वह आत्महत्या करेगा।

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