Wednesday, 24 February 2021

दक्षिण में कांग्रेस का इकलौता किला भी गिरा

पुडुचेरी विधानसभा में सोमवार को जो हुआ उस पर कोई हैरानी नहीं हुई। यह तो होना ही था। विधानसभा में मुख्यमंत्री नारायणसामी अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए। सोमवार को स्पीकर ने ऐलान किया कि सरकार के पास बहुमत नहीं है। इसके बाद मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी की विदाई तय हो गई। गौरतलब है कि विधानसभा में कांग्रेस के पास उसके नौ विधायकों के अलावा दो डीएमके और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है यानि कांग्रेस के पास 11 विधायकों (स्पीकर को लेकर 12) का समर्थन था, जबकि विधानसभा की वर्तमान स्थिति के मुताबिक उसे बहुमत के लिए 14 विधायकों का समर्थन चाहिए था। हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री नारायणसामी दावा करते रहे कि उनके पास निर्वाचित विधायकों में से बहुमत है। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान कांग्रेस और डीएमके विधायकों ने वॉकआउट किया। इसके बाद साफ हो गया था कि फ्लोर टेस्ट में नारायणसामी हार गए हैं और स्पीकर ने ऐलान किया कि सरकार सदन में बहुमत साबित कर पाने में विफल रही। कांग्रेस ने पुडुचेरी में अपनी सरकार बेहद आसानी से गंवा दी। दिल्ली से हाई कमान ने विधायकों को एकजुट रखने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। तमिलनाडु और पुडुचेरी की राजनीति में दखल रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली और गुलाम नबी आजाद सरीखे वरिष्ठ नेताओं को लगाया जाता तो शायद दक्षिण में कांग्रेस का यह इकलौता किला गिरने से बच जाता। कांग्रेस ने पुडुचेरी को इतने हल्के में लिया कि प्रभारी दिनेश गुंडु राव ने असंतोष को शांत करने के लिए राज्य में समय ही नहीं दिया। प्रभारी बनने के बाद गुंडु राव ने मुश्किल से तीन बार ही पुडुचेरी का दौरा किया। उनसे पहले प्रभारी रहे मुकुल वासनिक के बारे में तो कहा जाता है कि संभवत दो साल में वह एक बार ही आए होंगे। हाल ही में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पुडुचेरी आए थे तो उनको भी कहा गया था कि असंतुष्ट विधायकों और नेताओं से बात करके राजनीतिक संकट को टाला जाए। दरअसल दिसम्बर में असंतुष्टों में शामिल मंत्री ए. नमशिवाय को भाजपा ने तोड़ लिया। कहा जाता है कि नमशिवाय इस बात से खिन्न थे कि उन्हें आखिरी के दो साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने का वादा पूरा नहीं किया गया। निवर्तमान मुख्यमंत्री नारायणसामी पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए नमशिवाय को साढ़े चार साल तक पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष और पसंद का मंत्रालय दिया गया था। अभी चर्चा यह है कि भाजपा ने नमशिवाय को मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दिया है लेकिन यह आसान नहीं रहेगा। क्योंकि उनके मामा और भाजपा की सहयोगी एनआर कांग्रेस के प्रमुख रंगासामी भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। हालांकि भाजपा ने नमशिवाय के जरिये ही सत्तापक्ष के आधा दर्जन विधायकों को तोड़कर नारायणसामी की कांग्रेस सरकार को अपदस्थ करने में सफलता प्राप्त की है। आज अगर दक्षिण भारत में कांग्रेस का इकलौता किला धराशायी हुआ है तो उसके लिए खुद कांग्रेस हाई कमान और पुडुचेरी कांग्रेस पदाधिकारी जिम्मेदार हैं। आगामी दिनों में दक्षिण में कई विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे समय में पुडुचेरी में कांग्रेस का सफाया पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा सकते हैं।

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