Thursday, 4 February 2021
कहानी एक सनकी जनरल की, म्यांमार में तख्ता पलट
पड़ोसी म्यांमार में सेना ने सोमवार को तख्तापलट कर दिया और शीर्ष नेता आंग सांग सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया। खुद को राष्ट्रपिता कहने वाले म्यांमार की सेना प्रमुख सांग आंग सू ची को मिला भारी बहुमत बर्दाश्त नहीं कर पाए। पिछले साल नवम्बर में हुए आम चुनावों में सू ची के नेतृत्व वाली नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने भारी बहुमत हासिल किया था। एनएलडी को 80 फीसदी से ज्यादा सीटें मिली थीं। सेना ने सोमवार को तड़के देश की स्टेट काउंसलर आंग सांग सू ची, प्रेसीडेंट यू बिन मिंट समेत कई सीनियर नेताओं और अफसरों को हिरासत में ले लिया। देश में अगले साल तक के लिए आपातकाल लगा दिया। सेना के टीवी चैनल ने बताया कि मिलिट्री ने देश को अपने कंट्रोल में ले लिया है। इस तख्तापलट को अंजाम देने वाले सेना प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने देश की सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली है। सेना ने तख्तापलट करने के कुछ घंटे बाद ही बयान जारी करते हुए कहा कि अब विधायिका, प्रशासन और न्यायापालिका का जिम्मा लाइंग के हाथों में रहेगा। मिलिट्री के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग लाइंग उस समय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आ गए थे, जब उन्होंने म्यांमार के रखाइन प्रांत से रोहिग्याआंs को निशाने पर लेते हुए देश से निकाला दिया था। 2015 में आंग सांग सू ची म्यांमार सरकार ने अहम भूमिका निभाने से पहले मिन आंग लाइंग ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में बताया कि यहां नागरिक शासन के लिए कोई नियमित समय रेखा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार पांच साल हो सकती है या 10 साल तक रह सकती है, मैं कह नहीं सकता। लाइंग की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह कमांडर-इन-चीफ होने के नाते महत्वपूर्ण मंत्रालयों-रक्षा, सीमा मामलों और घरेलू मामलों के लिए मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं। जबकि सू ची के हाथ में केवल नागरिक प्रशासन में कानून बनाने की शक्ति है। सेना के लिए संसद की एक चौथाई सीटें आरक्षित हैं और सरकार में रक्षामंत्री और सीमा मामलों के मंत्री की भी नियुक्ति सेना प्रमुख ही करता है। सेना प्रमुख किसी भी संवैधानिक बदलाव पर वीटो करने का अधिकार रखने के अलावा किसी भी चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करने की ताकत रखता है। संविधान ने सू ची को राष्ट्रपति बनने से मना कर दिया क्योंकि उनके ब्रिटिश पति के साथ बच्चे थे, जो विदेशी नागरिक है। म्यांमार में साल 2015 लोकतंत्र बहाल हुआ। उसके पहले लगभग 50 सालों तक देश में सैन्य तानाशाही थी आंग सांग सू ची की लोकतंत्र बहाली के लिए लगातार संघर्ष करती रहीं। सैन्य सरकार ने सू ची को 15 साल जेल में बंद रखा। म्यांमार में अचानक हुए तख्तापलट पर विशेषज्ञ भी हैरान हैं। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के एरिया रिसर्च हेड गेरार्ड मैकार्थी कहते हैं कि देश का मौजूदा सिस्टम सेना के लिए काफी फायदेमंद है। सेना का सरकार पर नियंत्रण है। विदेशी निवेश आ रहा है। सेना को युद्ध अपराधों के मसले पर राजनैतिक संरक्षण था। इसके बावजूद तख्तापलट इसलिए किया गया है ताकि गैर चीनी इंटरनेशनल सहयोगियों को किनारे किया जा सके। साथ ही सेना समर्थित विपक्ष की हार और लगातार दूसरी बार आंग सांग सू ची की पार्टी के भारी बहुमत से सेना चिंतित है। सू ची की लगातार बढ़ती लोकप्रियता को सेना अपने लिए खतरा मान रही है। इसलिए एक साल के लिए आपातकाल लगाया गया है। म्यांमार में सेना के तख्तापलट पर सीधा हमला करार देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने सोमवार को म्यांमार पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी। बिडेन ने एक बयान में कहा, बर्मा (म्यांमार) की सेना द्वारा तख्तापलट आंग सांग सू ची व अन्य को हिरासत में लिया जाना और आपातकाल घोषित करना देश में सत्ता के लोकतांत्रिक हस्तांतरण पर सीधा हमला है।
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