Thursday 18 February 2021

दिशा रवि कौन है, जिनकी गिरफ्तारी से डरे हुए हैं पर्यावरण कार्यकर्ता

केन्द्राrय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन भड़काने के आरोप में एक्टिविस्ट दिशा रवि (21) को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के दल ने शनिवार को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया। उसके बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। कोर्ट में पुलिस ने दलील दी कि यह (प्रदर्शनों को हवा देना) भारत सरकार के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्सा है। वहीं दिशा दूसरी तरफ कोर्ट में रो पड़ीं। उनका कहना था कि उन्होंने टूलकिट तैयार नहीं की। केवल तीन फरवरी को इसमें उसने दो लाइन एडिट किए थे। पुलिस ने टूलकिट मामले में चार फरवरी को अज्ञात लोगों पर साजिश, राजद्रोह व अन्य आरोप में आईपीसी की धाराआंs के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दिशा रवि ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इसे एडिट किया व डाक्यूमेंट (टूलकिट) को वायरल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। टूलकिट में 26 जनवरी हिंसा को लेकर साइबर स्ट्राइक की भी बात की गई थी। इस टूलकिट केस की दिशा रवि एक कड़ी है। बता दें कि टूलकिट क्या है? टूलकिट ऐसा डॉक्यूमेंट होता है जिसमें यह बताया जाता है कि अगर कोई आंदोलन करना हो तो उस दौरान सोशल मीडिया पर समर्थन कैसे जुटाया जाए। कौन-कौन से हैशटैग का इस्तेमाल किया जाए, ताकि वह ट्रेंड करने लगे। अगर प्रदर्शन के दौरान कोई मुश्किल आती है तो उसमें और कहां संपर्क करना है। इस दौरान क्या करें और क्या न करें, किन बातों का ध्यान रखते हुए एहतियात बरतें। दुनियाभर में पहचान बना चुकी स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने 4 फरवरी को यह टूलकिट ट्विटर पर साझा की थी यानी दिशा के मुताबिक जब उन्होंने टूलकिट को संपादित किया, उसके बाद इसमें किसान आंदोलन को देश-विदेश के हर कोने में समर्थन देने के सुझाव हैं। इसमें दावा किया गया कि भारत में किसानों की स्थिति बहुत खराब है। लिहाजा जो जैसे मदद कर सकता है करे। रैली, प्रदर्शन, धरना, पोस्टर, तन-मन-धन जैसे भी हो। पुलिस का दावा है कि टूलकिट में दर्ज दिशा-निर्देशों के मुताबिक गणतंत्र दिवस पर हिंसा हुई। ट्रैक्टर रैली में भीड़ को गुमराह किया गया। टूलकिट में एक जगह पर लिखा है कि 23 जनवरी के बाद ट्वीट के जरिए तूफान खड़ा करना है। हैशटैग के जरिए डिजिटल हमला करना है। फिर 26 जनवरी को आमने-सामने की कार्रवाई। दिशा-रवि बेंगलुरु के प्रतिष्ठित माउंट कार्मेल की छात्रा हैं। दिशा ने साल 2018 में ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक मूवमेंट शुरू करने वाली संस्था एफएफएफ की सह-संस्थापक हैं। fिदशा रवि की ईमानदारी और उनकी प्रतिबद्धता का लेकर उनके साथ काम करने वाले हमेशा उनके बारे में बताते हैं कि वह शांतिपूर्ण तरीके से काम करती हैं। दिशा ने कभी कोई कानून नहीं तोड़ा। हमारे पेड़ बचाओ आंदोलन में उन्होंने भाग लिया। दिशा ने हमेशा पूरी वफादारी से कानूनी ढांचे के भीतर रहकर काम किया है। एक ओर पर्यावरण कार्यकर्ता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि लोग डरे हुए हैं। इसलिए शांत हो गए हैं। हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं, जहां असहमति की आवाज को दबाया जा रहा है। ये काफी निराशाजनक है। ये सभी बच्चे हैं जो पेड़ और पर्यावरण को बचाना चाहते हैं। उन्हें राष्ट्रद्रोही कहना कहां का इंसाफ है? सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकील रेबेका जॉन एक सोशल मीfिडया पोस्ट में लिखती हैं। पटियाला कोर्ट में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रिमांड देने के फैसले से बहुत दुखी हूं कि उन्हेंने एक युवा महिला को बिना यह सुनिश्चित किए कि उनका वकील उपलब्ध है कि नहीं, पांच दिन की रिमांड पर पुलिस हिरासत में भेज दिया। अगर सरकार ये मानती है कि कुछ गलत हुआ है तो पहले पुलिस स्टेशन में उससे पूछताछ करती। क्या उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए सीधे दिल्ली ले जाना चाहिए था? टूलकिट और कुछ नहीं बल्कि एक दस्तावेज है। इसका सभी इस्तेमाल करते हैं। इसका इस्तेमाल कोई भी कर सकता है।

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