Friday 26 February 2021

असंतोष के विचार आते रहें जो किसी से न दबें

टूलकिट केस में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी। अतिरिक्त जिला एवं सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने किसान आंदोलन का समर्थन करने वाली दिशा रवि को जमानत देते वक्त सख्त टिप्णियां कीं। जज ने अपने आदेश में कहा कि टूलकिट में देशद्रोह जैसी कहीं कोई बात नहीं है। 26 जनवरी की हिंसा के मामले में गिरफ्तार लोगों की पुष्टि नहीं है। सरकार से असहमति रखना अपराध नहीं है। शांतनु के 26 जनवरी को दिल्ली आने में बुराई नहीं है। विचारों में मतभेद, असहमति, विचारों में भिन्नता और यहां तक कि घोर आपत्ति राज्य की नीतियों में वस्तुनिष्ठता लाने के पहचाने हुए और विधिक उपकरण हैं। जज धर्मेंद्र राणा ने अपने फैसले में कहा कि मुखर जनता मजबूत लोकतंत्र का संकेत है। एक उदासीन और बेहद विनम्र जनता के मुकाबले जागरूक और मुखर जनता एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र दर्शाता है। भारत की पांच हजार साल पुरानी सभ्यता कभी भी अलग-अलग विचारों की विरोधी नहीं रही। ऋग्वेद में एक श्लोक में भी लिखा गया है कि हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। सिर्फ मौखिक दावे के अलावा मेरे संज्ञान में ऐसा कोई सुबूत नहीं लाया गया जो इस दावे की तस्दीक करता हो कि आरोपी या उनके सह-साजिशकर्ता की साजिश के बाद किसी भी भारतीय दूतावास में किसी तरह की कोई हिंसा हुई है, जज महोदय ने फैसले में कहा। जज राणा ने कहा कि दिशा रवि का पीजेएफ के खालिस्तानी समर्थक कार्यकर्ताओं से संबंध के भी कोई सुबूत नहीं हैं। इस बात के भी कोई सुबूत नहीं मिले हैं 26 जनवरी को हुई हिंसा का संबंध दिशा रवि या पीजेएफ से हैं। जज धर्मेंद्र राणा ने दिशा को एक लाख के पर्सनल बांड पर जमानत दी। उन्होंने कहाöरिकॉर्ड में कम और अधूरे सुबूतों को ध्यान में रखते हुए मुझे 22 वर्षीय लड़की, जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है वो जमानत के नियम तोड़ेगी, इसका भी ठोस कारण नहीं मिल रहा है। जज महोदय ने कहा कि तथाकथित टूलकिट से पता चलता है कि इससे किसी भी तरह की हिंसा भड़काने की कोशिश नहीं की गई। आज के माहौल में जब न्यायाधीशों की भूमिका, आचरण पर भी सवाल उठने लगे हैं, ऐसे में जज धर्मेंद्र राणा ने अपने कर्तव्य का निडरता से पालन कर लोगों में न्याय व्यवस्था के प्रति भरोसा जगाया है। दिशा रवि ने अदालत में कहा कि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है तो मैं जेल में ही ठीक हूं। दिशा के वकील ने कहा कि यह दर्शाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा टूलकिट 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है। जज ने कहा कि कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया जिससे सिद्ध होता हो कि दिशा रवि अलगाववादी विचारधारा की समर्थक हैं और उनके व प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के बीच किसी तरह का कोई संबंध है। जज ने कहाöभारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत असंतोष का अधिकार पक्के तौर पर निहित है। मेरे विचार से बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी में वैश्विक दर्शकों की तलाश का अधिकार शामिल है। संचार पर कोई भौगोलिक बाधाएं नहीं हैं। नागरिक के मौलिक अधिकार प्रदान करने और संचार हासिल करने में सर्वोत्तम साधनों का उपयोग करने का मौलिक अधिकार है, जब तक कि कानून के चारों कोनों के तहत इसकी इजाजत हो और जैसे कि विदेशों में दर्शकों तक पहुंच हो।

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