Friday, 24 August 2012

बेनी प्रसाद जैसे दोस्त हों तो कांग्रेस को दुश्मनों की जरूरत नहीं


 Published on 24 August, 2012

अनिल नरेन्द्र


कांग्रेस में बेनी प्रसाद वर्मा जैसे दोस्त हों तो उन्हें दुश्मनों की जरूरत नहीं है। वे उत्तर प्रदेश के अक्खड़ नेता हैं जो कभी समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबियों में से एक थे जो बाद में कांग्रेस आ गए। अब अपनी वफादारी साबित करने के लिए वह ज्यादा ही जुट गए हैं। पूर्वांचल में बड़ा जनाधार रखने वाले यह पिछड़े वर्ग में पैठ रखने वाले बेनी प्रसाद पिछले कुछ दिनों से अपने विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में बने हुए हैं। अपने अक्खड़ स्वभाव के लिए वह जब सपा में थे तब भी वह मुलायम से भिड़ जाते थे लेकिन मजबूत कुर्मी वोट बैंक को देखते हुए मुलायम को भी उन्हें मनाना पड़ता था। लेकिन एक दौर ऐसा आया कि उन्होंने सपा को लात मारकर कांग्रेस में प्रवेश पा लिया। अब वे खांटी कांग्रेसी बनकर सबसे ज्यादा निशाने सपा पर ही साध रहे हैं। दशकों तक कांग्रेस विरोध की राजनीति करते रहे जब से बेनी प्रसाद कांग्रेस में शामिल हुए हैं तब से विपक्ष का जमकर उल्हास उठाते हैं। भाजपा को तो आए दिन सांप्रदायिक होने का आरोप लगाते रहते हैं। अब जब से कांग्रेस और समाजवादी के संबंध मधुर हुए हैं तब से बेनी प्रसाद कांग्रेसी नेताओं को यह अहसास कराने से चूकते नहीं कि मुलायम सिंह ज्यादा भरोसे लायक नहीं है, क्योंकि उनका (मुलायम सिंह का) राजनीतिक जीवन राजनीतिक धोखेबाजी का ही रहा है। अपनी बात को साबित करने के लिए वे एक दर्जन से ज्यादा उदाहरण एक सांस में ही गिना देते हैं। बेनी बाबू इस समय मनमोहन मंत्रिमंडल में स्टील मंत्री हैं। राहुल गांधी के तमाम जोर के बावजूद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को खास सफलता नहीं मिलने का एक बड़ा कारण यही बेनी बाबू थे। बेनी बाबू के विवादित बयानों की वजह से ही पार्टी की चुनावी लुटिया डूबी। हर महीने-दो महीने में वह कोई न कोई नया टंटा जरूर खड़ा कर देते हैं। उन्होंने कह डाला कि खाने-पीने की चीजें महंगी होती हैं तो उन्हें हर बार बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि इससे अन्न उत्पादन करने वाले किसानों का फायदा होता है। इस अजूबी टिप्पणी से पूरा विपक्ष मंत्री जी के खिलाफ एकजुट हो गया है। यह विवाद अभी गरम ही था कि बेनी बाबू ने एक और टंटा खड़ा कर दिया। उन्होंने सोमवार को कह दिया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक मुकाबला राहुल गांधी बनाम नरेन्द्र मोदी के बीच होगा। ऐसे में सपा जैसी पार्टियां सत्ता में आने के मुंगेरी लाल छाप सपने न संजोएं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने यह उम्मीद जताई थी कि अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बजाय तीसरे मोर्चे की सरकार बनने के ज्यादा आसार हो गए हैं। उन्होंने अपने सिपहसालारों से कहा था कि यदि सपा को लोकसभा में 60 सीटें मिल जाती हैं तो नई सरकार की अगुवाई की स्थिति में वह आ सकते हैं। इस टिप्पणी को लेकर बेनी बाबू ने सपा और मुलायम पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि लगता है कि मुलायम कुछ-कुछ पगलाने लगे हैं और उनकी बुद्धि भी कुछ सठियाने लगी है। देखना यह है कि एक तरफ कांग्रेस में बेनी बाबू की ताजा टिप्पणियों पर क्या रिएक्शन होता है और दूसरी तरफ सपा क्या जवाब देती है?

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