Thursday 9 August 2012

मंगल पर क्यूरियोसिटी का सफलतापूर्ण उतरना एक ऐतिहासिक क्षण है


 Published on 9 August, 2012


अनिल नरेन्द्र

 

क्या हमने कभी यह कल्पना की थी कि हमारे जीवन में वह दिन आएगा जब हमारी पृथ्वी से 57 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर मानव पांव रखेगा? मानव ने पांव तो खैर अभी नहीं रखा पर एक अंतरिक्ष हाई टैक वाहन जिसका नाम है मार्स रोवर क्यूरियोसिटी जरूर सोमवार को मंगल ग्रह पर उतरा। यह दावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सोमवार को किया है। अमेरिकी क्यूरियोसिटी रोवर वाहन मंगल ग्रह के गेल ग्रेटर में 4.8 किलोमीटर ऊंचे और 154 किलोमीटर चौड़ाई के टीले के तल पर कार्यक्रम के मुताबिक उतरा। रोवर पता लगाएगा कि क्या कभी मंगल पर जीवन के लिए अनुकूल हालात थे और क्या कभी लाल ग्रह रहने लायक हो सकेगा। क्यूरियोसिटी अभियान संचालित कर रही नासा की जेट प्रोपल्जन लैब (जेपीएल) के वैज्ञानिक मंगल पर रोवर के उतरते ही खुशी से झूम उठे। यह पूरी दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवशाली क्षण है, क्योंकि 57 करोड़ किलोमीटर के सफर के बाद मंगल ग्रह पर इंसान के सबसे बड़े प्रयोग का पहला चरण कामयाब हुआ है। अब क्यूरियोसिटी से मंगल के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। वैज्ञानिकों ने नौ साल की कड़ी मेहनत के बाद क्यूरियोसिटी रोवर को मंगल यात्रा पर भेजने के लिए तैयार किया था। इस अभियान पर करीब 2.5 अरब डॉलर का खर्च आया है और अंतरिक्ष में भेजी गई अब तक की सबसे उन्नत प्रयोगशाला में भाग्य का फैसला सिर्प सात मिनट के अन्दर हुआ। इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए ये सात मिनट बहुत महत्वपूर्ण रहे। इन्हीं सात मिनटों के दौरान मंगल ग्रह की सतह पर रोवर को उतारा गया। क्यूरियोसिटी की लैंडिंग हैरतअंगेज तरीके से हुई। मंगल की सतह से 25 फुट ऊपर एक यान रुका। एक कवच खुला और फिर चेनों के सहारे एक छोटी कार जितना बड़ा रोवर क्यूरियोसिटी धीरे-धीरे हवा में फूलता नीचे उतरने लगा। एक टन भारी क्यूरियोसिटी को यान से तीन किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सावधानीपूर्वक नीचे उतारा गया। मंगल के वातावरण में दाखिल होते वक्त यान की रफ्तार 21240 किलोमीटर प्रति घंटा थी। लाल ग्रह यानि मंगल पर जीवन की संभावनाओं को लेकर वैज्ञानिक ही नहीं, आम आदमी को भी उत्सुकता लम्बे अरसे से रही है। क्यूरियोसिटी मंगल ग्रह की मिट्टी के नमूनों को इकट्ठा कर यह पता लगाएगा कि वहां सूक्ष्म जीवों के जीवन के लिए स्थितियां हैं या नहीं और अतीत में क्या कभी यहां जीवन रहा है। क्यूरियोसिटी रोवर की इस सफलता से दुनिया को बहुत उम्मीदें हैं। जिसके जरिये ग्रह की चट्टानों, मिट्टी और वायुमंडल का विश्लेषण किया जा सकता है। जिससे दुनिया को मंगल के अतीत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है, साथ ही यह पता चल सकता है कि अतीत में मंगल पर कितना पानी था, क्या वहां की परिस्थितियां जीवन के अनुकूल थीं और ऐसे क्या कारण थे जिनकी वजह से यह ग्रह आज एक बंजर लाल रेगिस्तान में तब्दील हो गया। निसंदेह नासा की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और इस युग की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है।

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