Published on 14
August, 2012
अनिल नरेन्द्र
भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में प्रस्तावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों को लेकर
घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। मोदी बनाम नीतीश लड़ाई खुलकर सामने आ चुकी है।
नीतीश के नरेन्द्र मोदी के विरोध को लेकर अब भाजपा नेताओं में भी रोष पैदा होने
लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवन्त सिन्हा ने पटना में ही
नीतीश का बगैर नाम लिए उन पर निशाना साधा और कहा कि जाति की राजनीति करने वाले लोग
धर्मनिरपेक्षता के ध्वजवाहक नहीं हो सकते। इन सबके बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
प्रमुख मोहन भागवत ने सुशासन में बिहार को गुजरात से बेहतर बताकर एक नया विवाद
पैदा कर दिया। भागवत ने नई दिल्ली में विदेशी मीडिया के कुछ पत्रकारों से बातचीत
में जब सुशासन वाले राज्यों की गिनती की तो सबसे पहले बिहार का नाम लिया। उन्होंने
कहा कि जन साधारण के अनुसार बिहार विकास के मामलों में गुजरात से भी अच्छा काम कर
रहा है। बिहार के बाद उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र का
नाम लिया। मोहन भागवत की राय सार्वजनिक होते ही पहले की तरह उनके इस बयान को लेकर
भी लीपापोती शुरू हो गई। ज्ञात हो कि कुछ समय पहले उन्होंने यह कहकर भाजपा-जद (यू)
के बीच तल्खी बढ़ा दी थी कि भारत की बागडोर किसी हिन्दुवादी नेता के हाथ में क्यों
नहीं होनी चाहिए? उन्होंने यह बयान नीतीश कुमार की इस राय पर दिया था कि कोई
सेक्यूलर नेता ही प्रधानमंत्री होना चाहिए। मोहन भागवत के ताजा बयान पर राजनीतिक
हलचल मचते ही संघ यह सफाई देने में जुट गया कि उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार के
शासन को गुजरात के नरेन्द्र मोदी शासन से ज्यादा अंक नहीं दिए हैं। संघ के राम
माधव ने इसे मीडिया के सिर थोपते हुए कहा कि भागवत के बयान को गलत तरीके से पेश
किया गया। सर संघ चालक बिना सोचे-समझे कोई भी बयान नहीं देते। श्री भागवत के इस
बयान के पीछे भी कोई रणनीति होगी। यह सम्भव है कि मोहन भागवत ने ऐसा बयान नीतीश को
शांत करने के लिए दिया हो। मोहन भागवत ने बिहार में संघ प्रचारक के पद पर लगभग 10
साल काम किया है। वह नहीं चाहते कि अब जब लोकसभा चुनावों को दो साल से कम का समय
रह गया है भाजपा और एनडीए के दूसरे सबसे बड़े घटक जद (यू) में दरार बढ़े। इससे
कांग्रेस को लाभ होगा। मोहन भागवत ने इस बयान से नीतीश को यह सन्देश भी देने का प्रयास
किया है कि वह एनडीए के एक महत्वपूर्ण नेता हैं और एनडीए में अब किसी भी तरह का
बिखराव नहीं होना चाहिए। मोहन भागवत के इस बयान पर इसलिए भी सन्देह होता है
क्योंकि संघ फैसला कर चुका है कि नरेन्द्र मोदी 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री
उम्मीदवार होंगे। अब नीतीश की तारीफ करना थोड़ा हास्यास्पद लगता है। दिलचस्प यह भी
है कि बिहार के भाजपा नेता संघ प्रमुख के आकलन को सही बताने में जुटे हुए हैं।
बिहार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सांसद सीपी ठाकुर ने कहा कि भागवत का आकलन ठीक है।
बिहार का विकास सभी क्षेत्रों में हो रहा है। हम यह नहीं कह रहे कि गुजरात का
विकास नहीं हो रहा। वहां भी हो रहा है लेकिन यदि भागवत बिहार के सुशासन को एक
नम्बर पर रख रहे हैं तो यह स्वागत योग्य है। मोहन भागवत के बयान को इसलिए नीतीश को
मनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
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