Published on 31 August, 2012
Friday, 31 August 2012
मनमोहन सिंह पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है
क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पद से हटने वाले हैं? रिपोर्टें तो कुछ ऐसी ही आ रही हैं। जैसे-जैसे सरकार विरोधी हवा तेज होती जा रही है और संसद का काम ठप पड़ा हुआ है उससे डॉ. मनमोहन सिंह पर दबाव बढ़ता जा रहा है और उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ती जा रही है। प्रधानमंत्री इन दिनों बेहद दबाव महसूस कर रहे हैं। भाजपा ने संसद के भीतर उनके इस्तीफे के लिए दबाव बनाया हुआ है तो सड़कों पर अन्ना हजारे, अरविन्द केजरीवाल और बाबा रामदेव के समर्थकों ने मनमोहन सिंह और उनकी सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है। जनता में मनमोहन सिंह और इस सरकार की विश्वसनीयता दिन-प्रति-दिन घटती जा रही है और यही चिन्ता कांग्रेसियों को खाए जा रही है। अधिकतर कांग्रेसी सांसद अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक बोझ मानने लगे हैं। लाइबिलिटी मानने लगे हैं। कांग्रेस के लोगों में यह चर्चा आम है कि मनमोहन सिंह इतने बदनाम हो चुके हैं कि जनता में इनकी विश्वसनीयता जीरो हो चुकी है। सोशल नेटवर्कों के अलावा गली-चौराहों, बसों, मेट्रो व चाय-पान और नाई की दुकानों पर सरकार को लेकर जो चर्चाएं हो रही हैं उन सब की जानकारी प्रधानमंत्री को मिल रही हैं जिससे वे बेहद दबाव में हैं। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक डॉ. सिंह हालांकि टीवी देखने के उतने शौकीन नहीं हैं लेकिन आजकल वे टीवी चैनल देखने लगे हैं। अभी तक घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस के सहयोगी दलों या दूसरे कांग्रेसी मंत्रियों पर लगाए जाते थे। लेकिन कोल आवंटन मामले में तो सीधे हमले मनमोहन सिंह पर हो रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को चौतरफा घिरता देख उसे सहारा दे रहे सहयोगी अब खुलकर तेवर दिखाने लगे हैं। कोयला आवंटन में फंसे प्रधानमंत्री को हटाने की चर्चाओं के बीच सरकार के दो सहयोगी दलों ने अब मध्यावधि चुनावों का राग अलापना आरम्भ कर दिया है। सरकार का हिस्सा होने के बावजूद ममता बनर्जी ने कहा है कि वे चाहती हैं कि यूपीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे लेकिन हालात बिगड़ते हैं तो उनकी पार्टी मध्यावधि चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है। समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह तो पहले ही कह चुके हैं कि मध्यावधि चुनाव कभी भी हो सकते हैं और उनकी पार्टी ने तो चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता मोहन सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि सोनिया गांधी को छोड़कर कोई भी कांग्रेसी नहीं चाहता कि मनमोहन सिंह पीएम के पद पर रहें। वे किसी और व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि उस व्यक्ति के नाम का खुलासा तो मोहन सिंह ने नहीं किया पर उनका इशारा राहुल गांधी को नेतृत्व सम्भालने की ओर हो सकता है। कांग्रेस के अन्दर युवा ब्रिगेड चाहता है कि अगर 2014 में राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करेंगे तो बेहतर होगा कि उन्हें अभी से प्रधानमंत्री बना दिया जाए। वैसे ऐसे कांग्रेसियों की भी कमी नहीं जो यह कहते हैं कि यह राहुल के लिए नेतृत्व सम्भालने का उपयुक्त समय नहीं है। पार्टी चौतरफा घिरी हुई है। ऐसे समय अगर राहुल को प्रधानमंत्री पद पर बिठा दिया जाता है तो अगले लोकसभा चुनाव तक उनकी भी विश्वसनीयता जीरो हो जाएगी। तकरीबन सभी कांग्रेसी इस बात पर एकमत हैं कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पार्टी 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकती। मनमोहन सिंह अब उनकी नजरों में एक बोझ बन गए हैं। लाइबिलिटी बन गए हैं।
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