Saturday 11 August 2012

क्या सोनिया तय रणनीति के अनुसार आडवाणी पर भड़कीं?




    Published on 11 August, 2012    

अनिल नरेन्द्र

संसद का मानसून सत्र हंगामे के साथ शुरू हुआ है। चार साल पहले यूपीए-1 सरकार के विश्वास मत के दौरान सांसदों की खरीद-फरोख्त के आरोपों का भूत बुधवार को फिर से जिन्दा हुआ तो लोकसभा में हंगामा खड़ा हो गया। असम में केंद्र सरकार की विफलता का जिक्र करते-करते भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने खरीद-फरोख्त का हवाला दिया और कहा, `यूपीए-2 सरकार अवैध है।' उनका इतना कहना था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भड़क गईं। उग्र तेवर दिखाते हुए सोनिया ने आडवाणी को बयान वापस लेने को कहा जिसके बाद आडवाणी ने अपने शब्द वापस लेने की घोषणा की। हालांकि ऐसा करते हुए उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि उनकी टिप्पणी यूपीए-2 सरकार के बारे में नहीं  बल्कि यूपीए-1 सरकार के समय विश्वास मत के दौरान हुए घटनाक्रम के सन्दर्भ में थी। कल तक विपक्ष मान कर चल रहा था कि प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद सत्ता पक्ष में कोई ऐसा नेता नहीं है जो सरकार का बचाव कर सके, लेकिन बुधवार को सोनिया गांधी के उग्र तेवर देखने के बाद उनकी उम्मीदों को जरूर झटका लगा होगा। जिस तरह सोनिया गरजीं उससे विपक्ष तो क्या सत्ता पक्ष भी हैरान हो गया। सत्ता पक्ष का भी हैरत में पड़ना स्वाभाविक ही था, क्योंकि यूपीए के 2004 में सत्ता सम्भालने के बाद से आठ साल के अब तक के कार्यकाल में सोनिया गांधी को इतने आक्रामक तेवर में पहले कभी नहीं देखा गया। अब तक ऐसे संकटों का सामना या सरकार का बचाव प्रणब दा किया करते थे। इसीलिए उन्हें यूपीए का संकट मोचक कहा जाता था। लगता है कि सोनिया के भड़कने के पीछे सोची-समझी रणनीति है। सोनिया ने विपक्ष को यह दिखाने की कोशिश की है कि सरकार को कमजोर न समझा जाए या यह नहीं माना जाए कि विपक्ष मनमाने तरीके से सरकार पर दबाव बना सकता है। सोनिया के तेवर को देखकर सत्ता पक्ष में जोश आ गया है और रणनीति यह  बनी है कि बड़ी संख्या में सांसद सदन में मौजूद रहकर सत्ता पक्ष के इस तेवर को बनाए रखेंगे और विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए मंत्री से लेकर सांसद तक पूरी तैयारी के साथ सदन में आएंगे। वैसे इससे एक और संकेत भी माना जा सकता है। सोनिया के तेवरों को भाजपा संसद में सद्भावना समाप्त करने वाले कदम के रूप में देख रही है। सोनिया के गुस्से भरे तेवरों से भाजपा के नेता भी हैरान हैं और भाजपा नेताओं को समझ नहीं आ रहा है कि सोनिया गांधी को भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी की टिप्पणी पर इतना गुस्सा क्यों आया? भाजपा नेता मान रहे हैं कि आडवाणी ने कोई ऐसा असंसदीय शब्द नहीं कहा था जिसके चलते सोनिया इतनी भड़क उठीं। इस घटना का भाजपा में अच्छा असर नहीं हुआ और इसका असर सत्र के आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है। नए वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम हाल ही में लोकसभा नेता विपक्ष सुषमा स्वराज से मिलने गए थे और उनसे सहयोग की बात कही थी पर बुधवार को सोनिया के तेवरों ने चिदम्बरम के मिशन सहयोग पर पानी फेर दिया है।

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