Published on 3 August, 2012
अनिल नरेन्द्र
असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई अपनी जिम्मेदारी
से बचने के लिए कभी तो सेना पर आरोप लगाते हैं कि
समय रहते सेना ने कोकराझार और राज्य के अन्य हिस्सों में तैनाती के आदेश नहीं
दिए जब जुलाई के अंतिम दिनों में वहां भयंकर सांप्रदायिक दंगा हुआ। कभी वह कहते हैं
कि केंद्र से खासतौर पर आईबी ने उन्हें पहले से चेतावनी नहीं दी कि राज्य के कुछ भागों
में दंगा हो सकता है। हम गोगोई से सीधा सवाल यह पूछना चाहते हैं कि आप और आपका प्रशासन-पुलिस
क्या सोई हुई थी? बोडो और अवैध घुसपैठियों में तनाव कई दिनों से चल रहा था, क्या आपकी
पुलिस की सीआईडी, लोकल प्रशासन को इस तनाव का नहीं पता चला? दंगा रोकने में आप और आपकी
सरकार फेल हुई है। यह दंगा आपकी पार्टी यानि कांग्रेस और आपकी सरकार की गलत नीतियों
की वजह से हुआ है और आगे भी होता रहेगा, क्योंकि आप वोट बैंक की राजनीति करने से बाज
नहीं आएंगे। बोडो के वर्चस्व वाले कोकराझार धुबरी और चिरांग सहित बोडोलैंड क्षेत्रीय
स्वायत्तशासी जिलों (बीटीएडी) के गांवों में गैर-बोडो मुस्लिम समुदाय के हमलों में
एकरूपता उभरकर सामने आती है। हमलावरों का उद्देश्य था कि ज्यादा लोग न मरें। वे दहशत
फैलाकर लोगों को गांवों से भगाना चाहते थे और वे इस उद्देश्य में सफल भी हुए। लाखों
लोगों को घर से बेघर होना पड़ा और शिविरों में शरण लेनी पड़ी। भाजपा के वरिष्ठ नेता
लाल कृष्ण आडवाणी सोमवार को हिंसा प्रभावित कोकराझार जिले का दौरा करके आए हैं। पत्रकारों
से बातचीत में आडवाणी ने कहा कि आज जो भी स्थिति है वह इसलिए है क्योंकि इससे निपटने
में देरी की गई जबकि ऐसा होने के लक्षण पहले से ही मौजूद थे। समस्या की असली जड़ को
पहचानने के लिए आत्ममंथन करने की जरूरत है, जो कि बंगलादेशी घुसपैठ से जुड़ा हुआ है।
असम की घटना देश के माथे पर कलंक है। इस मामले में सात साल पहले 2005 में सुप्रीम कोर्ट
भी कड़ी टिप्पणी कर चुका है। भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की मिलीभगत
से हुई घुसपैठ के परिणामस्वरूप असम में मूल निवासी महसूस कर रहे हैं कि उनका अपनी ही
जमीन से नियंत्रण समाप्त हो रहा है। श्री आडवाणी ने कहा कि यदि विदेशी बनाम भारतीय
के इस मुद्दे को शीघ्र नहीं सुलझाया गया तो राज्य के मूल निवासियों की हालत वैसी ही
हो जाएगी जैसी कश्मीरी पंडितों की हुई है। उन्होंने कहा कि मैं दो राहत शिविरों में
गया था। यह स्थिति बहुत तकलीफदेह है तथा अधिकांश लोग बेघर हो गए हैं जिससे उनकी सुरक्षा
और भविष्य अंधेरे में है। उन्होंने बंगलादेश से यहां आकर अवैध रूप से रहने वाले लोगों
को राज्य के वर्तमान हालात के लिए जिम्मेदार बताते हुए दावा किया कि इनके पीछे विदेशी
बनाम भारतीय मुद्दा प्रमुख है तथा जिसे सुलझाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए।
तरुण गोगोई अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते। उनकी सरकार को बंगलादेश से आते जा
रहे अवैध बंगलादेशियों पर नियंत्रण लगाना होगा। उन्हें असम के स्थानीय नागरिकों के
हितों का भी ध्यान देना होगा, क्योंकि उन्हीं का तो नेतृत्व वह करते हैं। अगर वोट बैंक
से चलते रहे तो देशहित से वह समझौता करते रहेंगे। सवाल भारतीय बनाम विदेशी का है न
कि मुस्लिम बनाम गैर-मुस्लिम का।
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