Friday 24 August 2012

राज ठाकरे ने उठाई बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आवाज


 Published on 24 August, 2012 

अनिल नरेन्द्र

मंगलवार को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने गिरगांव चौपाटी से मुंबई के आजाद मैदान में जबरदस्त रैली निकालकर एक तीर से कई शिकार करने का प्रयास किया। हजारों की संख्या में रैली करके यह साबित कर दिया कि मुंबई की राजनीति में वह एक उभरती शक्ति है जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने एक ही झटके में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को तो अपनी बढ़ती ताकत का अहसास तो कराया ही साथ ही शिवसेना और भाजपा को भी अपनी हैसियत जता दी। पुलिस के मना करने के बाद भी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे पहले गिरगांव चौपाटी पहुंचे वहां से पैदल चलकर आजाद मैदान गए। पुलिस ने आजाद मैदान में कार्यक्रम करने की मंजूरी तो दी थी लेकिन सड़क पर मार्च करने की अनुमति नहीं दी थी। हम राज ठाकरे को इस बात का साहस दिखाने के लिए बधाई देते हैं कि रैली में उन्होंने जमकर इन अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आवाज उठाई। आखिर किसी ने तो हिम्मत की। आजाद मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने 11 अगस्त की हिंसा के लिए गृहमंत्री आरआर पाटिल और पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक को जिम्मेदार ठहराया। 11 अगस्त को आजाद मैदान पर रजा अकादमी ने असम हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया था।  बाद में भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी। 55 लोग घायल हुए थे। इनमें से 45 पुलिसकर्मी थे। मीडिया के साथ भी मारपीट हुई थी। राज ठाकरे ने कहा कि पुलिस पर हमला करने वाले महाराष्ट्रीयन नहीं हो सकते। यह बांग्लादेशियों और पाकिस्तानियों की करतूत है। धमकी भरे लहजे में कहा कि पुलिस पर हाथ उठाने वाला किसी भी धर्म का हो, उसे वहीं पीटकर सही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान से आकर लोग पहले झारखंड और बिहार में रुकते है फिर वहां से ट्रेनों में भर-भरकर मुंबई पहुंच जाते हैं। इन्हीं लोगों के बूते पर अबू आजमी (सपा प्रदेशाध्यक्ष) जैसे नेता दो-दो विधानसभा जीत जाते हैं। राज ठाकरे ने हिन्दुत्व के मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि यह विशाल मोर्चा उन्होंने किसी के मुद्दे को हाइजैक करने के लिए नहीं निकाला है बल्कि मुंबई हिंसा में शिकार हुए पुलिस कर्मियों और मीडिया कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए निकाला है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने पुलिस के मना करने के बाद भी रैली निकाली और आजाद मैदान पर भाषण दिया। उनके भाषण के बाद महाराष्ट्र पुलिस के कांस्टेबल प्रमोद तावड़े ने मंच पर जाकर उन्हें फूल भेंट किया। थोड़ी देर बाद ही पुलिस ने प्रमोद को हिरासत में ले लिया। उस पर ड्यूटी के दौरान अनुशासन भंग करने का आरोप है। प्रमोद ने कहा कि 11 अगस्त की घटना के बाद राज ठाकरे पहले नेता हैं जिन्होंने पुलिस का मनोबल बढ़ाया है। राज ठाकरे शिवसेना ठाकरे बाला साहब के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। अब तो ठाकरे परिवार में सुलह भी हो गई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में निश्चित रूप से राज ठाकरे एक शक्ति के रूप में सामने आएंगे। उन्होंने इन अवैध घुसपैठियों और अराजकता फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने का साहस तो दिखाया।


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