Sunday, 5 August 2012

ओलंपिक का मजा लेना है तो खेल को देखो खिलाड़ी को नहीं


 Published on 5 August, 2012

अनिल नरेन्द्र

इसमें कोई संदेह नहीं कि एक भारतीय होने के नाते अगर कोई भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में कोई पदक जीते तो हमारा सिर गर्व से उठ जाता है और हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। दूसरी ओर जब नामी खिलाड़ी प्रतियोगिता से बाहर जो जाते हैं तो हमारे अन्दर निराशा हो जाती है। जीतना अच्छा लगता है पर हमें यह भी समझना चाहिए कि हर खिलाड़ी जीत नहीं सकता। ओलंपिक में फाइनल में पहुंचना या अंतिम 16 में भी पहुंचना बहुत बड़ी बात है। ओलंपिक में मुकाबला इतना तगड़ा होता है कि एक-एक प्वाइंट पर हार-जीत होती है। राउंड-दर-राउंड मैडल पोजीशन बदलती है। हम को अभिनव बिन्द्रा से बहुत उम्मीद थी और विजय कुमार का इस ओलंपिक से पहले कभी नाम तक नहीं सुना था पर हुआ क्या? अभिनव फाइनल राउंड तक नहीं पहुंच सके और विजय कुमार दुनिया के नम्बर दो शूटर बनकर चांदी का मैडल लेने में सफल रहे। अभिनव बिन्द्रा के हक में यह बात जाती है कि वह हमेशा लो प्रोफाइल रहे। वह कभी भी टीवी पर ज्यादा नहीं दिखे और न ही उन्होंने कोई ज्यादा विज्ञापन किए। ओलंपिक से बाहर हो चुके बिन्द्रा इस नाकामी से निराश नहीं और अब वे आगे और ध्यान लगाना चाहते हैं। 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में मुकाबला इतना कड़ा था कि अभिनव 600 अंकों में से 594 अंक लेकर भी 11वें स्थान पर रहे। एक राउंड हार-जीत का कारण बन सकता है। गगन नारंग ने इसी प्रतियोगिता में फाइनल में 103.1 अंक बनाए और वह तीसरे स्थान पर रहे। नारंग ने अच्छी शुरुआत की और पहले शॉट में 10.7 अंक बनाए, लेकिन अगले शॉट में वह 9.7 अंक ही बना पाए। इसके बाद नारंग अगले चार शॉट में 10.6, 10.7, 10.4 और 10.6 अंक बनाते हुए रजत पदक की होड़ में शामिल हो गए। लेकिन इसके बाद वह थोड़ा पीछे खिसक गए और अब उनका मुकाबला कांस्य पदक के लिए चीन के वांग ताउजे के साथ हुआ जो अंतत 700.4 अंकों के साथ चौथे स्थान पर रहे। शूटिंग में कभी-कभी अपने प्रदर्शन के अलावा थोड़ी किस्मत की भी जरूरत पड़ती है, क्योंकि अगर दूसरा खिलाड़ी थोड़ा खराब शॉट मार देता है तो आपको लाभ मिल जाता है। यह लाभ उसके खराब प्रदर्शन का मिलता है। इस ओलंपिक में हमने यह भी देखा कि खराब रैफरिंग की वजह से भी नुकसान हो सकता है। भारतीय मुक्केबाज सुमित सांगवान बैड अम्पायरिंग की वजह से हार गए। मैंने उनकी फाइट देखी थी। पुरुषों के लाइट हैवीवेट वर्ग में ब्राजील के योमागुमी फालकाओ फ्लोटेनटिनो के खिलाफ फाइट में जजों का स्कोरिंग का तरीका साफ तौर पर सांगवान के पक्ष में नहीं रहा, क्योंकि दूसरे और तीसरे राउंड में दबदबा बनाए रखने के बावजूद उन्हें पर्याप्त अंक नहीं दिए गए और जीती हुई फाइट को हार में  बदल दिया गया। बाक्सिंग में जजों की स्कोरिंग पर भारी विवाद पैदा हो गया है। अकेले सांगवान ही नहीं जिनसे नाइंसाफी हुई, ईरान के हैवीवेट बाक्सर अली मजाहेरी  ने भी शिकायत दर्ज कराई। बुधवार को  दूसरे दौर में क्यूबा के लाइदुस्त गोमेज के खिलाफ हार के बाद जजों पर यह आरोप लगाया गया कि जानबूझ कर उन्हें हराया गया। ईरानी मुक्केबाज को गोमेज द्वारा पकड़ कर खड़े रहने के कारण तीन चेतावनियों के बाद डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था। मजाहेरी का आरोप है कि यह मैच फिक्स था। मजाहेरी ने आधिकारिक रूप से निर्णय सुनाए जाने के पहले ही रिंग छोड़ दिया। खेल हो और फिक्सिंग का आरोप न लगे बहुत मुश्किल है। लंदन 2012 ओलंपिक भी फिक्सिंग के साए में आ गया। ओलंपिक के बैडमिंटन मैच में फिक्सिंग के आरोपी आठ खिलाड़ियों को गेम्स से बाहर कर दिया गया। इनमें से चार दक्षिण कोरिया के हैं जबकि दो इंडोनेशिया और दो चीन के हैं। इन खिलाड़ियों पर अगले राउंड में मनपसंद ड्रॉ हासिल करने के लिए जानबूझ कर हारने और क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन न करने का आरोप है। फुटबाल में स्पेन न केवल विश्व चैंपियन है बल्कि हाल में हुए और विश्व चैंपियनशिप में भी उसने खिताब जीता। यह देखकर आश्चर्य हुआ कि स्पेन जो कि ओलंपिक गोल्ड का प्रबल दावेदार माना जा रहा था होंडुरास जिसका नाम कभी फुटबाल में इतना सुना भी नहीं गया हो, से एक गोल से हारकर ओलंपिक खेलों की पुरुष फुटबाल स्पर्धा से बाहर हो गया। विश्व कप 2010 और यूरो चैंपियनशिप 2012 विजेता स्पेन एक ही समय में तीन बड़े खिताब जीतने का सपना संजोकर उतरा था। मेरी राय में सायना नेहवाल ने कमाल कर दिया है। बेशक वह सेमीफाइनल में चीन की शीर्ष वरीयता प्राप्त चिहान वांग से हार गईं  पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सारी दुनिया में इस समय महिला बैडमिंटन में चीन की  डोमिनेशन है। सेमीफाइनल में तीन चीनी खिलाड़ी हैं और अकेली भारत की सायना हैं यानि सारी दुनिया में चीन का अगर कोई मुकाबला कर रही है तो वह सायना हैं। वह हारीं भी तो वर्ल्ड नम्बर वन से। अब देखें कि वह कांस्य पदक जीत पाती हैं या नहीं पर मेरी राय में तो वह एक तरह से जीत ही चुकी हैं। इसी तरह टॉप सीड मलेशिया के ली योंग वेई के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में पी. कश्यप मैच हारकर भी लोगों का दिल जीत गए। विजेन्द्र सिंह से देश को बहुत उम्मीदें हैं। ओलंपिक में कभी-कभी ऐसे भी खिलाड़ी आते हैं जो सदा-सदा के लिए अपनी छाप छोड़ जाते हैं। ऐसा ही एक नाम है अमेरिकी तैराक माइकल फ्रेड फेल्पस का। इस महानतम तैराक ने एक अलग ही इतिहास रच दिया है। 27 साल के अमेरिकी तैराक ओलंपिक खेलों में 19 पदक जीतने वाले दुनिया के अकेले इंसान बन गए हैं। 2004 में एंथेस में उसने 6 गोल्ड और 2 ब्रांज मैडल जीते थे। उसकी बांह का विस्तार उसकी लम्बाई से भी ज्यादा, 6 फुट 7 इंच है। मैं व्यक्तिगत रूप से भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन से ज्यादा निराश नहीं हूं। इसके दो कारण हैं। पहला कि हम इनसे जरूरत से ज्यादा उम्मीदें लगाए हुए थे और दूसरा कि मुकाबला बहुत ज्यादा तगड़ा है। हमें दिल छोटा नहीं करना चाहिए और और बेहतर तैयारी करनी चाहिए। कुछ देश हमसे भी गए-गुजरे हैं। उदाहरण के तौर पर ओलंपिक इतिहास में वेनेजुएला ने 44 वर्ष बाद स्वर्ण पदक जीता है। उसके पुरुष तलवारबाज रुबेन गस्कोन ने देश को यह उपलब्धि दिलाई है। अब मैं जब ओलंपिक देखता हूं तो मैं भूल जाता हूं कि मैं एक भारतीय हूं। मैं केवल खेल को देखता हूं कौन देश का खिलाड़ी है यह नहीं देखता। हमें अपने आपको देश से उपर होकर ओलंपिक का मजा लेने का प्रयास करना चाहिए। मैंने इसी कॉलम में लिखा था कि क्या हम बीजिंग से आगे बढ़ सकेंगे? देखें क्या होता है।

No comments:

Post a Comment