Published on 3 August, 2012
अनिल नरेन्द्र
उत्तर प्रदेश में जब मायावती सरकार के कार्यकाल में
हर रोज दुराचार और कानून व्यवस्था भंग होने की घटनाएं सुनाई पड़ती थीं तो समाजवादी
पार्टी के नेता दावा करते थे कि जब उनकी सरकार आएगी तो ऐसा नहीं हो पाएगा। खुद श्री
मुलायम सिंह यादव ने सत्ता में आने पर कानून
व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने का वादा किया था पर सत्ता में आने के बाद लगता है कि
अखिलेश सरकार भी कानून व्यवस्था की खराब हालत को
बदलने में अब तक नाकाम रही है और यूपी की जनता को पुराने मुलायम सिंह यादव राज
की याद ताजा हो गई है। प्रदेश से अराजकता खत्म
करने और कानून व्यवस्था का राज कायम करने के नारे के साथ आई समाजवादी पार्टी के शासनकाल
में पुलिस का इकबाल और रौब बिल्कुल ही खत्म हो गया है। हर रोज खाकी पर लग रहे दाग शासन
को परेशानी में डाल रहे हैं। अराजकता के सवाल पर सपा के मंत्रियों के मुंह बन्द होने
लगे हैं। तीन महीने का हनीमून पीरियड खत्म होने के बाद अब सपा के बड़बोले नेताओं के
भी मुंह लटक गए हैं। अफसरों पर तौहमत लगाना भी किसी के गले नहीं उतर रहा है क्योंकि
सारे अफसर उन्हीं के द्वारा तैनात किए गए हैं। सरकार के पास अब यही जवाब रह गया है
कि सरकार का काम कार्रवाई करना है जो सरकार कर रही है। सपा सरकार में खुद पुलिस कर्मी
ही दुराचार में लिप्त हो गए और वह भी थाने के भीतर। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के माल
थाने के भीतर ही नंग-धड़ंग एक दरोगा को एक महिला ने पीट दिया था। इसके बाद सीतापुर
में एक लड़की को थाना परिसर में रखकर दरोगा और गांव के चौकीदार द्वारा कई दिनों तक
दुराचार करने की शिकायत मिली थी और उसके बाद
सोमवार को कुशीनगर के खड्डा थाने में एक दरोगा के सरकारी आवास में एक महिला के साथ
सामूहिक दुराचार की घटना प्रकाश में आई है। इसके अलावा अलीगढ़ के दादोन इलाके में एक
महिला के साथ सामूहिक दुराचार के साथ दरिंदगी की घटना ने भी लोगों के बीच आक्रोश पैदा
किया है। उक्त महिला को कुछ महिलाओं ने बहकाकर बदले की भावना से कुछ लोगों के सुपुर्द
कर दिया था इन लोगों ने महिला के साथ सामूहिक दुराचार कर उसे मृत समझकर छोड़ दिया था।
तीन महीने के भीतर तीन जनपदों में दंगे हो गए। कोशी कलां (भपुरा) के बाद प्रतापगढ़
और फिर बरेली में दंगे होना पुलिस-प्रशासन की लापरवाही का प्रतीक है जो पिछले वर्ष
काफी समय तक जलता रहा था। सोमवार को फैजाबाद में ही सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया और
वहां पीएसी तैनात करनी पड़ी। आजमगढ़ के मेहनगर इलाके में शुक्रवार की रात कुछ अराजक
तत्वों ने तीन जगहों पर अम्बेडकर प्रतिमाओं को निशाना बनाया। उन्होंने चककदास, पलिया
और जीमागढ़ गांव में लगी बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को तोड़ दिया। अभी
मायावती की मूर्ति तोड़ने का तनाव खत्म नहीं हुआ था कि अब बाबा साहेब की मूर्तियां
तोड़ने की घटना सामने आ गई। आपके राज में अखिलेश बाबू यह क्या हो रहा है?
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