Saturday 18 August 2012

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक कितने सुरक्षित हैं?


 Published on 18 August, 2012

-अनिल नरेन्द्र
 
पाकिस्तान से भारत आने के लिए शुक्रवार को निकले 300 हिन्दू और सिखों के जत्थे को पाक ने अटारी-बाघा बॉर्डर पर रोक दिया। सभी से लौटने का लिखित वादा लिया गया। इसके बाद इनमें से 150 को आने दिया गया। शुक्रवार को भारत जाने के लिए सीमा पर पहुंचे लगभग 300 हिन्दू-सिखों को पाकिस्तानी अधिकारियों ने आगे बढ़ने से रोक लिया। सुबह से ही बॉर्डर पर बैठे इन श्रद्धालुओं में से ज्यादातर घरों को लौट गए जबकि कुछ गुरुद्वारा ननकाना साहिब में ठहर गए। देर शाम लगभग 150 लोगों के जत्थे को भारत आने की आज्ञा दे दी गई। पाक प्रशासकों ने उनसे लिखकर ले लिया है कि वे भारत में अपने रिश्तेदारों के पास नहीं रहेंगे। धार्मिक स्थलों के दर्शन के  बाद लौट आएंगे। इससे पहले यात्रियों से करीब सात घंटे तक पूछताछ की गई। पाकिस्तान में हिन्दू-सिखों पर अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में एक हिन्दू लड़की को जबरन मुस्लिम बनाने की खबर पूरे विश्व ने देखी। हिन्दू-सिखों की दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पाकिस्तान और बंगलादेश में अल्पसंख्यकों और खासतौर पर हिन्दुओं के साथ होने वाले भेदभाव पर हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट भी जारी हुई है। पाकिस्तान में कुल आबादी का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा अल्पसंख्यकों में गिना जाता है जिनमें हिन्दू भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों का दावा है कि जबरन धर्म-परिवर्तन रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद के आंकड़ों के अनुसार हर महीने 20-25 हिन्दू लड़कियां अगुवा कर ली जाती हैं और उन्हें जबरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा जाता है। अमेरिकी विदेश विभाग ने रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर एक घटना का भी जिक्र किया है। इसमें बताया गया कि पिछले साल नौ नवम्बर को चार हिन्दू डाक्टरों की सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कहा जाता है कि यह हमला एक हिन्दू पुरुष और मुस्लिम महिला के बीच संबंधों की वजह से हुआ था। इस मामले की पड़ताल एक साल से लम्बित है। क्वेटा से आए बाघा बॉर्डर से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची 70 वर्षीय सिमरनजीत कौर ने कहाöअब पाकिस्तान में हमारे लिए खोने को कुछ भी नहीं बचा था, जो भी था सब दहशतगर्द ले गए, सिर्प जान बची है, उसकी सलामती के लिए हिन्दुस्तान में रह रहे रिश्तेदारों के यहां पनाह ली है। वे फिर कहती हैं कि भरोसा नहीं रहा कि अब कभी वहां की फिजा बदलेगी। दहशतगर्दों का जुर्म इस कदर बढ़ गया है कि वतन वापसी के नाम से ही रूह कांप उठती है। शुक्रवार तड़के सिमरनजीत कौर और दूसरे चार हिन्दू परिवार पुरानी दिल्ली स्टेशन पहुंचे। सिंध में जनरल स्टोर चलाने वाले विक्की वाघवानी कहते हैं कि पिछले दो साल में शायद ही कोई ऐसा लम्हा होगा जो सुकून से बीता हो। हिन्दू परिवारों के साथ लूटपाट, मारपीट, फिरौती के लिए अपहरण की वारदात आम हो गई थीं। हर समय यही डर सताता रहता है कि आज कहीं हमारी बारी तो नहीं? आखिर हारकर मैं इन्दौर में रहने वाले अपने मौसा-मौसी के पास पनाह लेने आया हूं। छह महीने की लम्बी जद्दोजहद के बाद 35 दिनों का हिन्दुस्तानी वीजा मिला, भगवान का शुक्र है कि अब अगले कुछ दिन सुकून में बीतेंगे। क्वेटा (बलूचिस्तान) में वाइन शॉप चलाने वाले नरेश कुमार ने बताया कि मजहबी हिंसा के चलते जब बात परिवार की असमत पर आ गई तो समझौता किए बिना हमने हिन्दुस्तान में पनाह लेने की सोची। मुझे आज भी बलूचिस्तानी होने पर फख्र है लेकिन वहां फैली दहशत ने मुझे पूरे परिवार के साथ अपनी सरजमीं छोड़ने को मजबूर कर दिया। पाकिस्तान से हिन्दू-सिख परिवारों के पलायन पर भारत सरकार को मामले की गम्भीरता को समझना चाहिए। पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने भी कराची में  बैठक करके इस पर चिन्ता जताई है। पाकिस्तान में भी कई नेताओं ने अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न की बात स्वीकार की है। इस मामले को पुरजोर तरीके से पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक स्तर पर उठाना चाहिए। भारत को इस समस्या को नए परिप्रेक्ष्य में देखकर रणनीति बनानी होगी। पाकिस्तान से आए इन अल्पसंख्यक परिवारों को भारत में शरणार्थी का दर्जा दिया जाना चाहिए। जो परिवार अभी भी पाकिस्तान में बचे हैं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाए। आखिर पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों की जिम्मेदारी पाक सरकार की है जो उन्हें उठानी ही चाहिए।

1 comment:

  1. भारत में अल्पसंख्य्कों के बारें में आपने अच्छी जानकारी दी है धन्यवाद .. आप यह भी पढे अधिक जांकारी मिलेगी http://days.jagranjunction.com/2012/12/18/minorities-rights-day/

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