Published on 12
August, 2012
अनिल नरेन्द्र
कहां पर पॉज लेना है, किस बात को
दमदार तरीके से कहना है और कितनी आक्रमकता रखनी है, योग गुरू बाबा रामदेव ने इस
बार रामलीला मैदान में सब कुछ साफ कर रखा है। इस बार बाबा की बातों में वह तल्खी
नजर नहीं आ रही जो पिछली बार देखने को मिली थी। बाबा पर दो बातों का खासा असर नजर
आया। वह पिछली बार रामलीला मैदान में पुलिस लाठीचार्ज को नहीं भूले और फिर उनके
सबसे करीबी सहयोगी बालकृष्ण इस समय जेल में हैं। बाबा पर बालकृष्ण की गिरफ्तारी का
इतना असर है कि उन्होंने अपने आंदोलन के पहले दिन बैनर पर शहीदों के बीच छपी
बालकृष्ण की तस्वीर लगा दी और विरोध होने पर सफाई भी देनी पड़ी। बाद में बैनर को
हटा दिया गया। बाबा ने अन्ना के जन लोकपाल समेत भ्रष्टाचार मिटाने और काले धन की
वापसी की बात तो कही, लेकिन संयमित ढंग से। उनके निशाने पर न तो कांग्रेस है और न ही
उसके नेता बल्कि इस बार तो वे सोनिया को माता और राहुल को भाई बोल रहे हैं। साफ है
कि बाबा रामदेव सरकार की दबंगई पिछली बार इसी मैदान में देख चुके हैं, इसलिए अब की
बार वह सरकार के लोगों से माता और भाई का रिश्ता जोड़ रहे हैं। रामलीला मैदान में
बाबा के एक बुजुर्ग भक्त ने टिप्पणी की कि इससे बढ़िया तो अन्ना हैं, जिन्होंने
किसी भी आंदोलन में कांग्रेस के नेताओं की तारीफ तो नहीं की। उन्होंने आगे कहा कि
जब तक देश में सत्ता परिवर्तन नहीं होगा, तब तक ये सरकार न अन्ना की आवाज सुनेगी
और न ही बाबा की। `मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन
आग जलनी चाहिए' कविता की इन लाइनों के उद्घोष के साथ अन्ना के आंदोलन का अन्त हुआ।
महज छह दिनों के बाद बाबा रामदेव ने उसी आग से मशाल जलाते हुए भ्रष्टाचार, काले धन
की वापसी को लेकर आंदोलन के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है। इस बार बाबा रामदेव की
प्रमुख मांगे हैं ः मजबूत लोकपाल बिल लाया जाए। सीबीआई व सीवीसी को स्वायत्त किया
जाए। चुनाव आयुक्त व सीएजी की नियुक्ति प्रक्रिया निष्पक्ष हो। विदेशों और घरेलू
स्रोतों में कुल 400 लाख करोड़ रुपए का काला धन है। प्राकृतिक संसाधनों की हो रही
लूट इस पर लगाम लगे। भीड़ के लिहाज से बाबा के आंदोलन में ज्यादा भीड़ इस बार नजर
आ रही है। बाबा के आंदोलन को सफल बनाने के लिए इस बार रामलीला मैदान में एक नहीं
हजारों महिलाएं पहुंच रही हैं। पिछले वर्ष इसी रामलीला मैदान में हरियाणा की रहने वाली राजबाला पुलिस लाठीचार्ज में
गम्भीर रूप से घायल हो गई थीं और बहुत दिनों तक इलाज चलने के बाद भी उनकी मौत हो
गई थी पर इससे बाबा की भक्त महिलाओं पर ज्यादा असर नहीं दिखा और वह बहुत बड़ी
संख्या में इस आंदोलन में भाग ले रही हैं। उन्हें लग रहा है कि बाबा रामदेव का
आंदोलन इस बार कोई न कोई रंग जरूर दिखाएगा। रामदेव और अन्ना का आंदोलन अब अलग-अलग
दिखने लगा है। समर्थकों का मतभेद भी खुलकर दिखने लगा है। रामलीला मैदान से अन्ना
टोपी और अन्ना टी-शर्ट गायब है। इतना ही नहीं, अन्ना समर्थकों की मौजूदगी भी नदारद
रही जबकि पहले के सभी आंदोलनों में बेशक अन्ना हजारे और रामदेव एक मंच पर आएं या
नहीं, समर्थक जरूर पहुंचते थे। सरकार के रवैये
का कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की इस टिप्पणी से पता चलता है ः जैसे
रामलीला हर साल होती है, वैसे ही लोकतंत्र में अलग-अलग विचारों वाले लोग समय-समय
पर प्रदर्शन करते हैं। रामलीला तो हर साल होती है।
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