प्रकाशित: 18 जुलाई 2013
भारत में भ्रष्टाचार को खत्म करने में राजनीतिक दलों और सरकारी मशीनरी की विफलता की एक बड़ी मिसाल ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के वार्षिक सर्वेक्षण के जरिए फिर से सामने आई है। सर्वे में 70 फीसद भारतीयों ने माना है कि भ्रष्टाचार भारत में पिछले दो सालों में बढ़ा है। 68 फीसदी भारतीयों का मानना है कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की मंशा पर उन्हें भरोसा नहीं है। 62 फीसद लोग ब्लॉग ढंग से मानते हैं कि उन्हें सरकारी अनुमति/सेवाओं की एवज में रिश्वत देनी पड़ती है। सर्वे में शामिल भारत के 86 फीसद लोग राजनीतिक दलों को सर्वाधिक भ्रष्ट मानते हैं। चिन्ता यह है कि भ्रष्टाचार की इस हा-हाकारी मौजूदगी पर आम लोगों की धारणा को बदलने के लिए गम्भीर प्रयास करने के बजाय हमारा राजनीतिक नेतृत्व इस सच्चाई को बेशर्मी और ढिठाई से नकारता रहा है। करप्शन यानि भ्रष्टाचार से कैसे निपटें? इस सवाल का जवाब चीन ने दिया है। रेलवे के इतिहास में दुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धियों में जिस एक रेलमंत्री का नाम दर्ज है, वह हैं 2011 तक चीन के रेलमंत्री रहे ल्यू फीयुन। इन्हें चीन की अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप का दोषी पाया और इन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। मंत्री की सारी व्यक्तिगत सम्पत्ति पहले ही जब्त की जा चुकी है और उनके सभी राजनीतिक अधिकार भी समाप्त किए जा चुके हैं। आठ साल चीन के रेलमंत्री रहे ल्यू फीयुन के ही कार्यकाल में चीन ने तिब्बत रेलवे अपने मुकाम पर पहुंचाया और बुलेट ट्रेन के मामले में चीन दुनिया में नम्बर वन बन गया। उनके सख्त प्रशासन के तो किस्से सुनाए जाते हैं। लेकिन एक हाई स्पीड ट्रेन दुर्घटना के बाद शुरू हुई जांच ने न सिर्प उन्हें इस गर्त में पहुंचाया बल्कि चीन में रेल मंत्रालय नाम की चीज ही खत्म कर दी गई। चीन में कोई आदर्श राज्य व्यवस्था नहीं है। वहां भी मीडिया में सवाल उठ रहा है कि ल्यू फीयुन के पास 16 कारें, 350 फ्लैट और 18 रखैल हैं, यह जानने के लिए चीन के खुफिया विभाग को एक ट्रेन दुर्घटना का इंतजार क्यों करना पड़ा? एक हमारा देश है। हमारे रेलमंत्री पर खुलेआम भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और जांच एजेंसी सीबीआई ने मुख्य आरोपी को ही सरकारी गवाह बना लिया है। वैसे तो देश में भ्रष्टाचार के मामले आजादी के बाद से ही सामने आने शुरू हो गए थे, लेकिन कुछ बीते सालों में सत्ताधीशों में चोरी और सीनाजोरी की प्रवृत्ति खुलेआम दिखाई देने लगी है। मौजूदा सरकार की बात करें तो भ्रष्टाचार के मामलों में इसके कुछ एक मंत्री जेल जा चुके हैं तथा कइयों को इस्तीफा देना पड़ा है। इस दौरान ऐसे भीमकाय घोटाले सामने आए हैं जिनकी गणना करना आम इंसान के बस की बात कतई नहीं है। यह भी देखा गया है कि कैसे मजबूत साक्ष्यों के बावजूद अंतिम दम तक सरकार आरोपियों को बचाने का भरसक प्रयास करती है। ल्यू फीयुन पर भ्रष्टाचार और पद का दुरुपयोग कर भारी धनराशि एकत्र करने और अय्याशी का आरोप है। चीन में हत्या और भ्रष्टाचार के साथ-साथ कई अपराधों के लिए फांसी का प्रावधान है। मगर भारत में भ्रष्टाचार के लिए जितनी भी सजा का प्रावधान हो, वह किसी सामर्थ्यवान व्यक्ति को नहीं मिल पाती। क्योंकि यहां कार्रवाई करने वालों से बचाने वाले के हाथ अकसर अधिक मजबूत होते हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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