Saturday 27 July 2013

क्या राहुल की जीतोड़ मेहनत इन कांग्रेसियों को सुधार पाएगी?

प्रकाशित: 27 जुलाई 2013
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी आजकल जी-जान से दिन-रात पार्टी संगठन को दुरुस्त करने में लगे हैं। राहुल ने अपने नेताओं को जो नसीहत दी है वह बहुत जरूरी है। आए दिन पार्टी के बड़े नेता अपनी ही सरकार व पार्टी नीतियों के खिलाफ बयानबाजी करके फालतू के विवाद पैदा करते हैं और आलाकमान को असमंजस में डाल देते हैं। पार्टी प्रवक्ता यह कहकर अपनी जान छुड़ाते हैं कि यह बयान अमुक नेता का अपना बयान है। राहुल ने बुधवार को पार्टी पदाधिकारियों से टीम भावना से काम करने की हिदायत देते हुए कहा कि गुटबाजी से संगठन कमजोर होता है। अत कांग्रेस पदाधिकारी व कार्यकर्ता टीम भावना से काम करें। राहुल ने कहा कि हमें समय के साथ चलना होगा क्योंकि हम अपनी तैयारी में देरी करते हैं तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। राहुल ने दो दिन पहले यूपी के कार्यकर्ताओं व नेताओं को चेताया कि यूपी में हम अपनी गुटबाजी के कारण हारे पर दुख का विषय तो यह है कि राहुल की इतनी कड़ी मेहनत का जितना लाभ पार्टी को होना चाहिए वह शायद नहीं हो रहा। मिशन 2014 की तैयारियों में जुटे राहुल गांधी को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस की ही अपनी एक खुफिया रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि यूपी कोर के केंद्रीय मंत्री दरअसल हीरो नहीं जीरो हैं। उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव मधुसूदन मिस्त्राr ने प्रदेश का व्यापक दौरा करने के बाद जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें कई खुलासे हुए हैं। मिस्त्राr ने सोमवार को पार्टी हाई कमान को यह रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में जिन मंत्रियों के कामकाज पर अंगुलियां उठाई गई हैं, वह सभी राहुल के करीबी माने जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मंत्रियों का आम कार्यकर्ताओं से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं है। भले ही पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर मंत्रियों की कुर्सी खतरे में नहीं है लेकिन रिपोर्ट में उठे सवाल के बाद राहुल का नाराज होना स्वाभाविक ही है। मिस्त्राr ने तो अपनी रिपोर्ट में इन मंत्रियों के आगामी चुनाव में जीतने पर भी सवाल उठा दिए हैं। यूपी से केंद्र में तीन कैबिनेट मंत्री के तौर पर सलमान खुर्शीद, बेनी प्रसाद वर्मा और श्रीप्रकाश जायसवाल हैं जबकि राज्यमंत्री के तौर पर आरपीएन सिंह, जतिन प्रसाद और प्रदीप जैन हैं। मिस्त्राr ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले दो बार प्रदेश का दौरा किया और इस दौरान वह प्रदेश, जिला और ब्लॉक समिति के सदस्यों और कार्यकर्ताओं से मिले। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सूरजपुंड की संवाद बैठक हो या फिर जयपुर की चिन्तन बैठक। कार्यकर्ताओं से मंत्रियों तक सीधे पहुंच की जो प्रणाली बनाने की बात की, वह उत्तर प्रदेश में ध्वस्त दिख रही है। कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि प्रदेश कांग्रेस इकाई के पदाधिकारियों तक भी मंत्रियों की बेरुखी से परेशान हैं। मंत्री अपनी मनमर्जी से क्षेत्र का दौरा करते हैं। राहुल ने हालांकि सभी मंत्रियों को दो-टूक कह दिया है कि चुनाव को एक साल भी नहीं रह गया है, इसलिए उन्हें दिल्ली छोड़ क्षेत्र में काम करना होगा। राहुल ने यह भी कहा है कि सभी मंत्रियों को प्रदेश कांग्रेस इकाई को साथ लेना पड़ेगा पर कुछ कांग्रेसी ऐसी ढीठ जमात से हैं कि वह किसी की भी नहीं सुनते। राहुल अकेले तो चुनाव नहीं जिता सकते, सरकार और संगठन दोनों को मिलकर नेतृत्व का साथ देना होगा।

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