प्रकाशित: 23 जुलाई 2013
अगर देश की राजधानी दिल्ली में बदमाशों के हौंसले बुलंद हैं तो देश के अन्य शहरों में क्या हाल होगा इसका अन्दाजा आसानी से लगाया जा सकता है। दिल्ली के एक बिजनेसमैन और उसका परिवार लम्बे समय से दहशत के साये में जीने पर मजबूर है। हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में बन्द एक कैदी बिजनेसमैन पर `मंथली' देने का दबाव बना रहा है। डिमांड पूरी न होने पर नतीजे भुगतने की धमकियां दी जाती हैं। संगम विहार निवासी बिजेन्द्र सिंह अपनी मां, पत्नी और दो बेटियों के साथ रहते हैं। उनका केबल का बिजनेस है। कुछ साल पहले बिजेन्द्र ने हत्या के मामले में शामिल चन्द्र प्रकाश को जेल पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। यही बात उस कैदी को नागवार गुजरी। इसके बाद शुरू हुआ तिहाड़ जेल से ही बिजनेसमैन को धमकियां देने का सिलसिला। बिजेन्द्र का आरोप है कि चन्द्र प्रकाश तिहाड़ जेल से ही फोन कर उस पर मंथली देने का निरंतर दबाव डाल रहा है। बार-बार मिल रही धमकियों के मद्देनजर पीड़ित ने आरोपी से मोबाइल पर हुई बातचीत की रिकार्डिंग भी कर रखी है। उसके पास धमकी भरे कॉल वर्ष 2009 से आ रहे हैं। दो बार जानलेवा हमला भी हो चुका है। हालांकि बिजेन्द्र सिंह सभी संबंधित पुलिस अफसरान से मिल चुका है पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बेशक एशिया की सबसे बड़ी तिहाड़ मॉडल जेल में शुमार हो, लेकिन प्रशासनिक तौर पर यहां की अन्दर की हालत चिन्ताजनक जरूर है। तिहाड़ जेल में खुदकुशी, मारपीट, ब्लेडबाजी, मादक पदार्थों की तस्करी, मोबाइल फोनों की बरामदगी ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। तिहाड़ में क्षमता से दोगुना कैदी हैं और जरूरत से कम यानि एक-तिहाई जेल कर्मचारी हैं। वेतन विसंगति और पदोन्नति को लेकर उदासीन जेल कर्मचारी हर साल नौकरी छोड़कर जा रहे हैं। पिछले कुछ माह के भीतर तिहाड़ जेल में दो कैदियों ने खुदकुशी कर ली और एक कैदी को दूसरे कैदियों ने मार-मार कर मौत के घाट उतार दिया। छोटी-मोटी घटनाएं तो आम बात है। जेल में कैदियों की क्षमता 6250 है लेकिन यहां पर 12113 कैदियों को रखा गया है। जेल मैन्युअल के हिसाब से यहां पर 6250 कैदियों के लिए कुल 1300 जेल सुरक्षाकर्मियों का पद स्वीकृत है। रुल्स स्टैंडर्स के मुताबिक स्वीकृत पद से 10 फीसदी अधिक सुरक्षाकर्मी भर्ती किया जाना चाहिए ताकि आपात स्थिति में कर्मचारी की कमी महसूस न हो लेकिन इस समय लगभग 900 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। मौजूदा कैदियों की संख्या के हिसाब से लगभग 3000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाना चाहिए। इस साल लगभग 50 जेल कर्मचारी नौकरी छोड़ चुके हैं। वर्ष 2007 बैच के कुल 18 सहायक जेल अधीक्षकों में से 12 ने नौकरी छोड़ दी है। वेतन विसंगति और पदोन्नति में भेदभाव को लेकर तिहाड़ जेल कर्मचारियों में भारी तनाव देखने को मिल रहा है। चौथे वेतन आयोग से पहले तिहाड़ जेल के सुरक्षाकर्मियों और पुलिस की सेलरी एक समान थी, लेकिन पांचवें और छठे वेतन आयोग में पुलिस की सेलरी बढ़ा दी गई और जेल सुरक्षाकर्मियों की जस की तस रह गई। तिहाड़ जेल की पूर्व महानिदेशक किरण बेदी, अजय कुमार, बीके गुप्ता व नीरज कुमार सभी अपने कार्यकाल में प्रस्ताव बनाकर वेतन विसंगति को दूर करने के लिए गृह विभाग से सिफारिश कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। तिहाड़ में सुरक्षा का मामला यूं ही चलता रहेगा। जब तक पूरी गम्भीरता से सारे पहलुओं पर विचार नहीं होता तब तक तिहाड़ से ऐसी ही खबरें आती रहेंगी।
-अनिल नरेन्द्र
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