Tuesday 16 July 2013

मेट्रो में बनाए गए एमएमएस पोर्न साइटों पर

प्रकाशित: 16 जुलाई 2013
दिल्ली मेट्रो पर न केवल दिल्ली को नाज है बल्कि पूरे देश की एक बड़ी उपलब्धि मानी गई है। विदेशों से भारत यात्रा पर आए महानुभाव तक दिल्ली मेट्रो में सवारी करते हैं पर पिछले दिनों दिल्ली मेट्रो की छवि पर दाग लग गया। दिल्ली मेट्रो में वैसे तो सुरक्षा मानकों का पूरा इंतजाम है पर किसी ने शायद यह नहीं सोचा था कि कोचों के अन्दर इस प्रकार की हरकतें भी हो सकती हैं? दिल्ली मेट्रो में लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए अश्लील एमएमएस और वीडियो क्लिप्स बनाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक रिपोर्ट के अनुसार मेट्रो रेल में सुरक्षा के मद्देनजर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से अश्लील एमएमएस बन रहे हैं और इन्हें पोर्न साइट्स पर धड़ल्ले से अपलोड किया जा रहा है। अब तक करीब 13 पोर्न और अन्य साइट्स पर मेट्रो में बनाए गए वीडियो अपलोड किए जा चुके हैं। हैरत की बात यह है कि इन वीडियो क्लिप्स व एमएमएस को डेढ़ लाख से ज्यादा लोग देख भी चुके हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार युगल प्रेमी प्लेटफार्म ही नहीं बल्कि चलती ट्रेनों (मेट्रो) के अन्दर भी अश्लील हरकतें करने से बाज नहीं आते। एक क्लिप में तो बाकायदा पंजाबी बाग मेट्रो स्टेशन में हरकतें कैद हुईं। जिस समय लड़के-लड़कियों की अश्लील हरकतें दिखलाईं उस समय मेट्रो में किसी यात्री के नहीं होने की बात भी सामने आई है। यह वीडियो क्लिपिंग करीब ढाई से पांच मिनट के बीच की थी। हैरत की बात तो यह है कि मामले के सामने आने के बाद भी डीएमआरसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। सम्भवत यह सिलसिला पिछले लम्बे समय से चल रहा होगा, किन्तु मेट्रो अधिकारी अपने संबंधित विभाग की गतिविधियों की भनक तक नहीं लगा सके या फिर मामले को गम्भीरता से नहीं लिया गया। इस मामले में मंगलवार को महिला आयोग ने मेट्रो को नोटिस भेजा है। हालांकि बखेड़ा होने के बावजूद सीआईएसएफ और मेट्रो दोनों ही इस मामले से अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं। दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन का कहना है कि उन्होंने एमएमएस प्रकरण को गम्भीरता से लिया है। मामले की विभागीय जांच शुरू हो गई है। प्रकरण से जुड़ी एक एफआईआर साइबर क्राइम सेल में दर्ज कराई गई है। इसका मकसद दोषियों को सही तरह से सामने लाना है। हालांकि डीएमआरसी का मानना है कि यह एमएमएस सीसीटीवी कैमरों के जरिए नहीं  बनाए गए। मेट्रो के जनसम्पर्प विभाग के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने सीआईएसएफ पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि वह मेट्रो में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच एजेंसी है। ऐसे में इस एमएमएस प्रकरण के लिए मेट्रो को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। वहीं सीआईएसएफ के प्रवक्ता हेमेन्द्र सिंह का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज का नियंत्रण मेट्रो के पास है। उन्होंने कहा कि अपलोड की गई वीडियो क्लिप को देखकर ऐसा लगता है कि इन्हें मोबाइल द्वारा शूट किया गया है। यह बेहद चौंकाने वाला मामला है। तकनीक का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए होना चाहिए। लेकिन इसका इस्तेमाल महिलाओं की निजता पर प्रहार करने में हो रहा है। इस तरह की हरकतों से महिलाओं की मेट्रो में सफर करने पर आशंका पैदा करेगा पर सवाल तो यह है कि इन युगल जोड़ियों को रोका कैसे जाए। सिर्प सख्ती से हो सकता है? कसूरवारों को पकड़ा जाए और सजा दी जाए ताकि भय पैदा हो, बदनामी भी होगी।
-अनिल नरेन्द्र

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