प्रकाशित: 13 जुलाई 2013
भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को ऐलान किया कि कांग्रेस समय से पहले चुनाव करवा सकती है और हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह को चुनाव अभियान का गठन करने के लिए अधिकृत किया गया। नरेन्द्र मोदी की उपसमिति में हुई बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव में सुशासन और विकास को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया गया। अनंत कुमार ने बैठक के बाद कहा कि भाजपा आक्रामक चुनावी मोड में आ चुकी है। चुनावी तैयारियों पर नजर रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न समितियों की हर सप्ताह या 10 दिन में बैठकें हुआ करेंगी। बीजेपी की कैम्पेन कमेटी की कमान सम्भालते ही नरेन्द्र मोदी ने अपना मिशन 2014 की रणनीति बना ली। गत गुरुवार को संसदीय बोर्ड की बैठक से पहले पार्टी का हाई लेवल कमेटी की बैठक में इस गेम के लिए टारगेट के मुद्दे सेट कर दिए गए। यह हैंöभ्रष्टाचार, सीबीआई का दुरुपयोग और आर्थिक संकट। तय हुआ कि इन चारों मुद्दों को लेकर पार्टी राज्यों में अभियान चलाएगी। इनके अलावा आतंकवाद, देश की लचर सुरक्षा व्यवस्था व लोकल मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया जाएगा। अगले महीने कांग्रेस के खिलाफ चार्जशीट जारी की जाएगी। भाजपा शासित राज्यों की अपनी गवर्नेंस भी हाई लाइट की जाएगी। चुनाव अभियान की तैयारी को लेकर बैठक में आडवाणी और मोदी दोनों ने कहा कि चुनाव में अब वक्त कम बचा है। हो सकता है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव इसी साल करवा ले। ऐसे में पार्टी को तैयार रहना चाहिए। नरेन्द्र मोदी ने भी लगता है कि अपने काम करने के स्टाइल में थोड़ी तब्दीली की है। अब वे सबको साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने साफ संकेत दिए हैं कि फैसले लेने में वह अपनी नहीं चलाएंगे बल्कि संसदीय बोर्ड और दूसरे फोरम की सहमति से काम करेंगे। इसी के तहत चुनाव अभियान से जुड़ी कुछ बड़ी जिम्मेदारियां औरों को सौंपी हैं। आडवाणी और मोदी की सोच में हालांकि अब भी फर्प है। जहां मोदी भाजपा की सीटें बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं वहीं आडवाणी बीजेपी के नए सहयोगी जुटाने पर जोर दे रहे हैं। मोदी चाहते हैं कि गुजरात के विकास मॉडल को आगे बढ़ाया जाए जबकि आडवाणी अटल बिहारी वाजपेयी मॉडल को लाना बेहतर समझते हैं। मोदी का कहना है कि पार्टी को जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव लगाना चाहिए। आडवाणी कह रहे हैं कि उम्मीदवार जिताऊ तो होना चाहिए पर उसकी छवि साफ होना भी जरूरी है। बैठक से यह संकेत भी मिलता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देश पर पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने एकजुटता दिखाने का प्रयास किया है। सामूहिक फैसलों की नीति पर अमल करते हुए संसदीय बोर्ड को आगे भी पूरी तरह से चुनावी रणनीति से जोड़े रखा जाएगा। नरेन्द्र मोदी की मिशन 2014 में उत्तर प्रदेश और बिहार दो महत्वपूर्ण राज्य हैं। मोदी के ऑपरेशन उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए खासतौर पर रणनीति तय की जा रही है। कोशिश यह है कि हर वर्गों तक पहुंचा जाए ताकि उन्हें साथ जोड़ा जा सके। 120 लोकसभा सीटों वाले यह दो राज्य मिशन मोदी की धुरी बनेंगे। लक्ष्य यह भी होगा कि सीटों के मामले में कोई भी राज्य अछूता न रहे।
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