Friday 5 July 2013

जल सैलाब से भारतीय सैन्य तैयारी भी हुई प्रभावित


 Published on 5 July, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
केदारनाथ त्रासदी व उत्तराखंड की तबाही में जो बचाव कार्य भारत की सेना, एयर फोर्स, आईटीबीपी और अन्य सैनिक बलों ने किया है उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। हजारों लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाया है, यह सही मायनों में भगवान के दूत बनकर उभरे हैं पर दुर्भाग्य तो यह है कि हमारी सेना भी तबाही की चपेट में आ गई है। उत्तराखंड की आपदा से चीन की सीमा से सटे जिलों में भारतीय सेना को तगड़ा झटका लगा है। 350 किलोमीटर में फैले बार्डर को जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें जगह-जगह से बह गई हैं जबकि निर्माणाधीन सड़क परियोजनाओं का लक्ष्य अगले छह वर्ष तक अब पूरा होना भी सम्भव नहीं रहा। इससे सीमा पर सैन्य विस्तारीकरण की योजनाओं और राज्य में स्वतंत्र माउंटेन ब्रिगेड स्थापित करने की तैयारियां कई साल पीछे चली गई हैं। चीन सीमा पर सैन्य संरचना मजबूत करने के लिए सेना लद्दाख से लेकर उत्तराखंड और सिक्किम के लिए एक माउंटेन स्ट्राइक कोर स्थापित करना चाहती है। इस परियोजना में उत्तराखंड एक अहम कड़ी है, जिसमें एक स्वतंत्र माउंटेन ब्रिगेड तैनात की जानी है। इसके लिए सेना ने राज्य के पर्वतीय जनपदों में भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है जिसमें सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को 2018 तक 45 सड़कों के निर्माण का लक्ष्य दिया गया है। गंगोत्री और नंदा देवी में सेना तोपखाने के अभ्यास के लिए फील्ड फायरिंग रेंज बनाना चाहती है, लेकिन उस क्षेत्र में भारी वर्षा से सारे सम्पर्प मार्ग टूट गए हैं। सेना ने 67 जगहों पर हैलीपेड बनाने का भी प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा अन्य विभिन्न सैन्य परियोजनाओं के लिए 20 हजार एकड़ भूमि की जरूरत है। सेना खुद मान रही है कि भारी बारिश ने जोशी मठ से लेकर नीति व माणा पास तथा उत्तरकाशी में गंगोत्री तक सड़कों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सीमा सड़क संगठन के प्रोजेक्ट शिवालिक के तहत हर्षिल और जोशी मठ में दो टास्क फोर्स को भी भारी नुकसान पहुंचा है। प्रोजेक्ट हीरक के तहत चंपावत और टनकपुर में निर्माणाधीन सड़कें प्रभावित हुई हैं। मलारी से बाड़ा होती, माणा गांव से माणा पास भैरो घाटी से नागा सोनम कुमाला होते हुए टी चौकला निर्माणाधीन सड़कें प्रभावित हुई हैं जबकि माणा पास पर 56 किलोमीटर सड़क जगह-जगह टूट गई है। धारचूला में चीन सीमा लिपुलेक तक निर्माणाधीन 65 किलोमीटर सड़क मार्ग को नुकसान हुआ है। गूंजी से कुट्टी तक 18 किलोमीटर सड़क नहीं है लेकिन मनुस्यारी से मिलम के बीच 65 किलोमीटर सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। वहां फरासु से गंगोत्री तक 10 जगह से सड़क टूटी है। इस हादसे में जो प्रमुख सड़कें तबाह हुई हैं उनमें गुप्तकाशी से कानी मठ मोटर मार्ग, गुप्तकाशी से समाली मोटर मार्ग, गुप्त काशी से गौरीपुंड मोटर मार्ग, गुप्तकाशी से रुद्रप्रयाग मोटर मार्ग व गुप्त काशी से उखीमठ मोटर मार्ग है। पुल जो बर्बाद हुए हैं ः सोन प्रयाग का पुल, धारा का नजदीक रेल गांव, कुड़ (गुप्तकाशी और उखीमठ को जोड़ने वाला), विद्यापीठ का पुल, काकड़ा जाढ़ का पुल, मौरी, चद्रापुरी, अगस्त मुनि व तिलवाड़ा  के पुल प्रमुख हैं।

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