Published on 9 July,
2013
अनिल नरेन्द्र
केदारनाथ में हुई तबाही तो एक संकेत भर है। इसके ठीक
छह किलोमीटर ऊपर स्थित चोराबाड़ी ग्लेशियर बड़ी तबाही के लिए कुलबुला रहा है। यह कहना
है चार बार चोराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपर से हवाई
दौरा कर चुके रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एमसी भंडारी का। उनका कहना है कि चोराबाड़ी
ग्लेशियर बड़ा खतरा साबित हो सकता है, लेकिन इतनी तबाही मचा देगा इसका आभास उन्हें
भी नहीं था। अनादिकाल से हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ के चारों ओर खतरा मंडराने
लगा है। लगातार बारिश और हाल ही में जल प्रलय के बाद अब प्राचीन मंदिर भी खतरे की जद
में है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि यदि बरसात से पूर्व मंदिर के बचाव के प्रारम्भिक
इंतजाम न हुए तो मंदिर को नुकसान पहुंच सकता है। बीती 16 और 17 जून की आपदा में तो
मंदिर बच गया पर मंदिर को भी क्षति पहुंची है। आपदा के कहर से मंदिर परिसर करीब ढाई
से तीन फुट मलबे और पत्थरों से ढंका है। जबकि पिछले हिस्से में विशाल बोल्डर गिट है।
मंदिर के आगे के हिस्से से पत्थर भी निकल रहे हैं। पुरातत्व और भूगर्भ विज्ञान से जुड़ी
टीम मंदिर निरीक्षण करने नहीं जा पाई है। यदि प्राचीन मंदिर के प्रति इसी तरह उदासीन
रवैया रहा तो बरसात के दौरान मंदिर को नुकसान होने से नकारा नहीं जा सकता। उत्तराखंड
में भीषण आपदा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने जब 100 ट्रक राहत सामग्री दिल्ली से रवाना
की तो इसके साथ ऐसा कोई आदेश चस्पा नहीं था कि यह राहत केवल उन्हें दी जाए जो पार्टी
के वोटर हैं। अब इसे रुद्रप्रयाग के कांग्रेसियों की दूरदर्शिता ही कहेंगे कि उन्होंने
बगैर आलाकमान के निर्देशों के भी राहत सामग्री वहां बंटवा दी जहां आपदा आई ही नहीं।
एक तरफ हजारों लोग राहत को तरस रहे हैं और
दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेसी अपनी वोट बैंक राजनीति से बाज नहीं आ रहे। यह भी रिपोर्ट
आई है कि कांग्रेसी नेताओं ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत भेजने के बजाय मुख्यालय
में बनाए गए गोदामों में बन्द कर रखा है। रिपोर्ट तो यह भी है कि राहत के नाम पर दी
जा रही सामग्री सड़ी भी निकल रही है। नाला गांव की प्रधान विशेश्वरी देवी ने शुक्रवार
को राहुल गांधी युवा ब्रिगेड द्वारा दी गई राहत सामग्री की 30-40 बोरी लेकर अपने गांव
में बांटने के लिए खोलीं तो अनाज से बदबू आ रही थी, वह सड़ चुका था। लक्सर के एक बड़े
आढ़ती के यहां प्रशासन ने लगभग एक हजार बोरे राशन सामग्री के बरामद किए हैं। पकड़े
गए बोरों में हरियाणा की मुहर लगी थी। राहत सामग्री की आढ़तियों को खुली सेल हो रही
है। लोग भुखमरी से मर रहे हैं और यह लाशों पर भी राजनीति करने वाले अपनी जेबें भरने
में लगे हैं। लक्सर क्षेत्र के तहसीलदार के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने छापा मारकर
स्थानीय बसपा नेता की शुभम ट्रेडिंग कम्पनी से आपदा कोटे की एक हजार से अधिक खाद्य
सामग्री (क्विंटल) पकड़ी है। यह राहत सामग्री आपदा प्रभावित इलाकों में वितरण के लिए
राशन दुकानदारों को जून और जुलाई के कोटे के रूप में दी गई थी। एक दुखद खबर यह भी है
कि उत्तराखंड के आपदाग्रस्त जिलों का दौरा कर लौटी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की
टीम ने राज्य सरकार से लापता बच्चों की वास्तविक संख्या पता लगाने को कहा है। टीम में
शामिल चेयरपर्सन कुशल सिंह ने मुख्यमंत्री से मिलकर अनाथ बच्चों की देखभाल और हजारों
की संख्या में गायब बच्चों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करने को कहा है। राज्य
सरकार ने पहले केवल एक बच्चे के अनाथ होने का आंकड़ा पेश किया था। उल्लेखनीय है कि
एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड त्रासदी के बाद 1200 से अधिक बच्चों के गायब होने का
अनुमान है। सही संख्या तो शायद ही कभी पता लगे। केदार घाटी में प्राकृतिक आपदा से मारे
गए लोगों को निकालने में देर की गई तो वहां अब शव नहीं कंकाल ही मिल पाएंगे। विशेषज्ञों
का दावा है कि केदार घाटी में पड़े शव महीनेभर बाद सड़कर तो जानवरों का शिकार हो गए
या फिर मिट्टी में मिल गए होंगे। ऐसे में उनकी
पहचान करना मुश्किल हो जाएगा। जीएसआई के वैज्ञानिक पहले ही साफ कर चुके हैं कि सुरक्षा
और पर्यावरण के लिहाज से केदारनाथ क्षेत्र बेहद संवेदनशील है लिहाजा धार्मिक आस्था
के साथ-साथ वैज्ञानिक नजरिये से भी सोचने की जरूरत है। सुझाव है कि हेलीकाप्टरों से
तत्काल वहां जेसीबी मशीनें भिजवाकर मंदिर के 60-70 मीटर पीछे बड़ी दीवार बनाई जाए।
जेसीबी व अन्य भारी मशीनें वहां पहुंचाना मुश्किल नहीं है। मशीनों को खोलकर उसे वहां
असेम्बल किया जा सकता है और सेना इस तरह के काम सामान्य रूप से करती है। वहां दीवार
लगवाने के काम में आईटीबीपी व बीआरओ के जवानों की मदद ली जा सकती है। यह देश की आस्था
से जुड़ा बड़ा सवाल है। ऐसे में केदारनाथ के
मंदिर के अस्तित्व पर बड़ी चुनौतियों को समझते हुए इस मंदिर को बचाना उत्तराखंड और
केंद्र सरकार की उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। केदारनाथ मंदिर के सभामंडप में श्रीकृष्ण
के साथ ही पांच पांडवों की बेशकीमती मूर्तियां हैं। माता पुंती, पार्वती, गणेश, रिद्धि,
सिद्धि, पीतल के नंदी, वीरभद्र, लक्ष्मी नारायण आदि की मूर्तियां भी सभामंडप में हैं
जो इस समय बिना सुरक्षा के बिल्कुल असुरक्षित हैं। अविलंब मंदिर की सुरक्षा का प्रबंध
जरूरी है।
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