Sunday 17 April 2016

कश्मीर में सेना को बेवजह बदनाम करने की साजिश

जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में चार नागरिकों की मौत के बाद भड़की हिंसा की आग में पूरा कश्मीर अब झुलसने लगा है। हंदवाड़ा में हिंसक घटनाओं के बाद से तनाव की स्थिति बनी हुई है। एहतियातन इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। वहीं लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है। कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में हुई गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी। गौरतलब है कि हंदवाड़ा के एक जवान पर कथित रूप से एक छात्रा के साथ छेड़खानी का आरोप लगा था। इसके बाद गुस्साए लोगों ने जमकर हंगामा किया, जिसके चलते सेना को फायरिंग करनी पड़ी थी। इस फायरिंग में एक उभरते हुए क्रिकेटर सहित चार लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। कुछ लोगों ने एक पुलिस पोस्ट को आग लगा दी। पहले से ही एनआईटी के विवाद ने घाटी और जम्मू के बीच की मानसिक खाई को और बढ़ाया है। इसी तरह हंदवाड़ा की घटनाओं से केंद्र के प्रति लोगों में असंतोष कम होने के बजाय और बढ़ा है। दिलचस्प संयोग है कि हाल के घटनाक्रम ने दुप्रचारों की असलियत सामने ला दी है। पाक अधिकृत कश्मीर में लोग सड़कों पर निकले हुए हैं। वे बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वे बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान सरकार को जमकर कोस रहे हैं क्योंकि वहां जो भी थोड़ी-बहुत सरकारी नौकरियां निकलती भी हैं, उनमें भी पाकिस्तान के अन्य इलाकों से बेरोजगारों को भर दिया जाता है। इन प्रदर्शनों ने अधिकृत कश्मीर की बदहाली जिन्दगी की हकीकत उजागर कर दी है। इधर हंदवाड़ा में हुई घटना दर्शाती है कि सेना को बेवजह ही विलेन के रूप में पेश करना कितना आसान है। सेना द्वारा जारी किए गए वीडियो से एक बात तो साफ है कि अफवाह फैलाने वाले तंत्र ने बिना किसी बात के एक बतंगड़ रच दिया। खुद पीड़िता का कहना है कि सेना के किसी जवान ने उसके साथ कोई बदसलूकी नहीं की थी। उसका कहना तो यह है कि एक स्थानीय युवक ने उसका बैग छीनने की कोशिश की और उसके साथियों ने ही उसे चोट पहुंचाई थी। यह कितना दुर्भाग्य है कि करे कोई भरे कोई। चार निर्दोष इस झूठ के शिकार हो गए और सेना को बिना वजह विलेन बना दिया गया। कश्मीर में यह अलगाववादी जिनको पाकिस्तान से पूरा समर्थन मिलता है ऐसी अफवाहें फैलाकर भारत के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे रहते हैं। अब जब महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर की कमान संभाल ली है उम्मीद की जाती है कि वह इन अलगाववादियों और अफवाह फैलाने वालों पर नियंत्रण करेंगी। वैसे भी यह मामला सूबे की कानून व्यवस्था से जुड़ता है।

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