Wednesday 20 April 2016

क्या असम में भाजपा सरकार बना लेगी?

भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल विधानसभा चुनावों में रणनीतिक प्रचार के कारण इन तीनों राज्यों के सदनों में पार्टी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी। पार्टी के अंदरूनी आंकलन के अनुसार वोट प्रतिशत के मामले में वह बीते लोकसभा की सफलता से आगे निकल जाएगी। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में दो और तमिलनाडु में एक सीट जीती थी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के सबसे ज्यादा उम्मीद वाले राज्य असम में मतदान हो चुका है और बाकी चार विधानसभा चुनाव में वह अपनी प्रभावी मौजूदगी के लिए कड़ा संघर्ष कर रही है। पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा अपने दम पर चुनाव मैदान में है। अंदरूनी आंकलन में भाजपा यहां पर 10 से 12 सीटों पर जीत की संभावना देख रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे 17.02 प्रतिशत वोट मिले थे जो कि 2011 में महज 4.06 प्रतिशत थे। भाजपा ने पुडुचेरी की 30 में से 16 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने के साथ ही स्पष्ट कर दिया कि वह अकेले ही विधानसभा चुनावों में उतरेगी। तमिलनाडु में पांच कोणीय संघर्ष है, लेकिन मुख्य मुकाबला अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच है। किसी बड़े गठबंधन का हिस्सा नहीं होने और स्थानीय प्रमुख दलों के साथ भी गठबंधन नहीं होने से भाजपा कमजोर है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 2.22 प्रतिशत वोट मिले थे और 204 में छह उम्मीदवार ही जमानत बचा सके थे। केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काफी मजबूत है, लेकिन भाजपा वहां अभी तक लोकसभा, विधानसभा में भी खाता नहीं खोल सकी है। इस बार पार्टी सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश में है। लोकसभा चुनावों में उसका वोट प्रतिशत 10.45 तक पहुंच गया था और निकाय चुनावों में भी सफलता मिली थी। असम में बहरहाल भाजपा को पूरी उम्मीद है कि इस बार वह पूर्ण बहुमत के साथ आकर सरकार बनाने की स्थिति में होगी। एबीपी न्यूज और नीलसन के ओपिनियन पोल ने तो यही आंकलन पेश किया है। चैनल पर प्रसारित पोल के मुताबिक भाजपा और उसके सहयोगी दल असम की 126 सदस्यीय विधानसभा में 78 सीटें जीत सकती है और सरकार बना सकती है। वहीं पोल में कांग्रेस को महज 36 सीटों पर सिमटता हुआ दिखाया गया है। एआईयूडीएफ को महज 10 सीटों पर और अन्य दलों को दो सीटों पर सफलता मिल सकती है। अगर हम साल 2011 के चुनावों की बात करें तो असम में कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा को महज छह सीटें मिली थीं। उस साल एआईयूडीएफ को 18 सीटें मिली थीं। राज्य में 52 प्रतिशत लोग मानते हैं कि बांग्लादेश शरणार्थियों का मुद्दा अहम होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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