Saturday, 2 April 2016

सहारा बेल पर सिब्बल और सुप्रीम कोर्ट बैंच में तीखी बहस

निवेशकों के करोड़ों रुपए लौटाने में नाकाम रहे सुब्रत रॉय 10 हजार करोड़ की जमानत राशि जमा नहीं करने के कारण पिछले दो साल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें कोर्ट ने चार मार्च 2014 को जेल भेजा था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जून में कहा था कि सहारा समूह को निवेशकों को कुल 36,000 करोड़ रुपए लौटाने होंगे। सहारा का मामला मंगलवार को फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की बार-बार की जमानत अपील पर कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बैंच ने सहारा को बड़ा झटका देते हुए कहा कि जमानत चाहिए तो पैसा लाइए। इसके लिए कोर्ट ने सेबी को सहारा की उन 86 सम्पत्तियों को बेचने की इजाजत दे दी जिनके मालिकाना हक को लेकर विवाद नहीं है। सहारा कई बार समय देने के बावजूद प्रॉपर्टी बेचकर निवेशकों की रकम वापस करने में विफल रहा है। इससे पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान सहारा समूह की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कई दलीलें रखीं। इस पर चीफ जस्टिस नाराज हो गए। दलीलों के दौरान सिब्बल ने कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को जेल में दो साल से ज्यादा हो गए हैं, जबकि उनके खिलाफ कोई केस भी नहीं है और न ही अवमानना की कार्रवाई की गई है। आप भले रिसीवर नियुक्त कर दीजिए, लेकिन दुनिया में कहीं ऐसा नहीं होता कि कोई व्यक्ति बिना दोष जेल में रहे। इस पर नाराजगी जताते हुए चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि आप बहस कीजिए, हमें भाषण मत दें। दुनिया में ऐसा भी कोई व्यक्ति नहीं होता कि कोई व्यक्ति कहे कि उसके पास 1.87 लाख करोड़ हैं, लेकिन वह जमानत के लिए 10,000 करोड़ रुपए नहीं दे सकता। हमने सुब्रत रॉय को पूरा मौका दिया और मदद भी की। लेकिन वे हर बार यही कहते रहे कि प्रॉपर्टी के लिए खरीददार नहीं मिल रहे। हम रिसीवर नियुक्त करने पर आपको सुनेंगे। आप प्रॉपर्टी बेचने में नाकाम रहे हैं। रिसीवर नियुक्त करना ही समस्या का हल नहीं है। इस पर सिब्बल ने कहाöहमारे मुवक्किल सुब्रत रॉय को जेल में और सुविधाएं मिलनी चाहिए। इस पर बैंच ने कहाöज्यादा सुविधाएं... किस लिए? आप कह रहे हैं कि बाजार नीचा है, कोई खरीददार नहीं मिल रहा, फिर सुविधाएं क्यों चाहिए? इसके बाद बैंच ने सेबी से कहा कि वह 40,000 करोड़ रुपए जुटाने के लिए सहारा समूह की सम्पत्ति बेचना शुरू कर दे। लेकिन यदि संबंधित क्षेत्र के सर्पिल रेट के 90 फीसदी से कम कीमत की बोली मिले तो उस सम्पत्ति की बिक्री नहीं की जाए। मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
-अनिल नरेन्द्र



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