Thursday, 28 April 2016

घाटी में सेना को बदनाम करने में काम आ रहा है खाड़ी का धन

जिस पकार कश्मीर घाटी में पिछले एक अरसे से अलगाववादी तथा आतंकवादी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं उससे यह लगता है कि कुछ तत्व ऐसे हैं जो युवाओं को भड़का रहे हैं। घाटी में मौजूद आतंकी नेटवर्प खून-खराबे के बजाए लोगों को भड़का कर सेना तथा सुरक्षा बलों को बदनाम करने की सुनियोजित रणनीति पर काम कर रहा है। खुफिया एजेंसियों ने गृहमंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि हंदवाड़ा की घटना आतंकी और अलगाववादी नेटवर्प का नतीजा है। रिपोर्ट के मुताबिक घाटी में मौजूद केंद्र विरोधी धड़ा जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार को दबाव में रखने के लिए इन करतूतों में बराबर का भागीदार है। उधर खाड़ी के देशों से आ रहा हवाला का धन कश्मीर घाटी में हमारे सुरक्षा बलों की दिक्कतें बढ़ा रहा है। क्योंकि खबर है कि ज्यादातर अवैध धन का उपयोग सदियों पुरानी सूफी परंपरा से नौजवानों को हटाकर उन्हें चरमपंथ की तरफ लाने के लिए ढांचा बनाने में हो रहा है। कश्मीर घाटी के कई हिस्सों में नई धार्मिक संस्थाएं उभर रही हैं। सुरक्षा आकलनों के अनुसार ये सस्थाएं ज्यादातर युवाओं को आकर्षित कर रही हैं और इनमें धर्म के उस रूप को पेश किया जा रहा है, जिस पर पतिबंधित आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे आतंकी समूह चल रहे हैं। इस नए रुझान से बहुत से धार्मिक नेता परेशान हैं, क्योंकि वह महसूस कर रहे हैं कि नौजवानों की नई पीढ़ी को कश्मीर घाटी की सदियों पुरानी सूफी परंपरा से हटाया जा रहा है। नई मस्जिदों के लिए वित्त पोषण पर उठते सवाल के बीच सेना, पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि खाड़ी देशों से अवैध धन की विशाल राशि घाटी में भेजी जा रही है। कोष छोटी राशियों में आता है ताकि उसका पता न चल सके। संसद में एक सवाल पर दिए गए जवाब के अनुसार पिछले साल 82 लड़के आतंकवाद की गिरफ्त में आए। सुरक्षा अधिकारियों ने इसे एक खतरनाक रुझान करार दिया है और कहा है कि 1990 के दशक के आतंकवाद और आज के आतंकवाद में बुनियादी फर्प यह है कि अभी के आतंकवादी समूहों का विचारधारात्मक विश्वास पहले की तुलना में ज्यादा उच्च पवृत्ति का है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीर ``अखिल इस्लामीकरण'' से गुजर रहा है और नौजवान यह बात जान कर भी आतंकवाद का रास्ता अपना रहे हैं। यह जानते हुए भी कि ऐसा करने से वह अपनी मौत को ललकार रहे हैं। एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि खाड़ी देशों में अपने पतिष्ठान रखने वाले कुछ कारोबारी घराने अपने उत्पादों की कीमत बढ़ा-चढ़ा कर ओवर इन्वाइस पेश कर रहे हैं और अतिरिक्त धन भेज रहे हैं। भारत सरकार को अविलंब ऐसी धनराशि पर पाबंदी लगाने के तरीके सोचने होंगे।
-अनिल नरेन्द्र


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