Saturday, 23 April 2016

सऊदी अरब की धमकी, खबरदार जो हमें 9/11 का दोषी बताया

पिछले कुछ दिनों से अमेरिका और सऊदी अरब के बीच तनाव पैदा हो गया है। दरअसल अमेरिका के दो सीनेटरों जॉन कॉरनिन और चार्ल्स सुमेर ने एक विधेयक तैयार किया है। विधेयक में आतंकवाद को प्रायोजित करने के खिलाफ न्याय की बात की गई है। इसमें सितम्बर 2011 यानि 9/11 हमले तथा अन्य आतंकी घटनाओं के पीड़ितों को आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति भी होगी। अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले में चूंकि हमलावरों में अधिकतर सऊदी अरब नागरिक थे इसलिए सऊदी अरब को दोषी ठहराया जा रहा है। इस प्रस्ताव को लेकर सऊदी अरब अब अमेरिका को धमकियां दे रहा है। सऊदी अरब ने अमेरिका और अमेरिकी सांसदों को धमकी दी है कि उसे 9/11 के हमलों के लिए किसी भी तरह से दोषी मानने की कोशिश न करे। उसने कहा है कि अमेरिकी सांसद ने अमेरिका में मौजूद सऊदी अरब की सम्पत्ति को जब्त करने की कोशिश की तो वह पहले से ही अपनी सम्पत्ति बेच देगा। यह सम्पत्ति करीब 750 अरब डॉलर की है। धमकी के बाद ओबामा प्रशासन अमेरिकी सांसदों की संसद में प्रस्ताव पारित होने से रोकने की कोशिश में जुट गया है। न्यूयॉर्प टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी संसद 9/11 के हमलों के संबंध में एक बिल पास करना चाहती है। इसमें सऊदी अरब को भी उसके लिए जिम्मेदार व दोषी ठहराया जाना है। सऊदी अरब को आशंका है कि अमेरिका उस देश में उसकी सम्पत्ति जब्त न कर ले। दूसरी ओर अर्थशस्त्रियों का मानना है कि अमेरिका में सम्पत्ति बेचना सऊदी अरब के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि उससे उसकी अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा। लेकिन सम्पत्ति जब्त होने से उसे बेचने में ज्यादा फायदा रहेगा। परन्तु उसके बाद सऊदी अरब और अमेरिका के रिश्तों में और ज्यादा तनाव आ जाएगा। ओबामा सांसदों को मनाने में लगे हैं। सऊदी अरब सबसे बड़े तेल निर्यातक और अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार भी है। ओबामा प्रशासन, पेंटागन तथा विदेश विभाग ने अपने सांसदों को चेतावनी दी है कि बिल पारित होने से न केवल सऊदी अरब के साथ राजनयिक संबंध बिगड़ेंगे बल्कि आर्थिक व्यवस्था भी बिगड़ सकती है। सऊदी अरब के विदेश मंत्री जुबेर ने पिछले महीने अमेरिकी दौरे के समय अपने देश की ओर से अमेरिकी नेताओं को धमकी की जानकारी दी थी। असल में इस नए अमेरिकी कानून के पारित होने के बाद नौ सितम्बर 2011 के पीड़ितों को सऊदी अरब के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति होगी।

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