Tuesday 19 April 2016

क्या इस बार कामयाब होगा तम्बाकू पर बैन?

राजधानी में तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला या कोई भी चबाने वाला तम्बाकू उत्पाद बेचने, रखने या बनाने पर प्रतिबंध को अगले एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। दिल्ली के खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी है। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार तम्बाकू किसी भी तरह का हो लोगों के स्वास्थ्य को खराब करता है और आने वाली पीढ़ियों की जैविक संरचना को भी प्रभावित कर सकता है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि चूंकि गुटखे और तम्बाकू से कैंसर आदि जैसे भयावह रोग होते हैं इसलिए सरकार ने लोगों के हित और उच्च स्वास्थ्य के लिए यह फैसला लिया है। राजधानी में हालांकि तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध एक साल से है पर इसका कोई खास असर अभी देखने को नहीं मिल रहा है। सरकारी रोक के बावजूद दुकानों पर तम्बाकू यूं ही बिक रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं यह बैन इस बार भी जमीनी हकीकत बन पाएगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन दिल्ली सरकार की यह कोशिश अगर कामयाब रही तो निश्चित रूप से इसका सीधा असर आम लोगों की सेहत पर होगा। पिछले साल मार्च में सरकार ने एक साल के लिए तम्बाकू पर बैन लगाया था, जिसके खिलाफ निर्माता कंपनियां कोर्ट गई थीं और स्टे के आदेश ले लिए थे। पिछले महीने यह स्टे खत्म हो गया और सरकार ने फिर से बैन लगाने के लिए ऑर्डर जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के आधार पर किसी भी तरह के चबाकर खाने वाले तम्बाकू, गुटखा, खैनी वगैरह पर तो बैन लग गया है पर इस नोटिफिकेशन में सिगरेट और बीड़ी पर अभी बैन नहीं है। पिछले कई सालों से चबाकर खाने वाले तम्बाकू पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह कामयाब नहीं रही। भारत में तम्बाकू कैंसर की बड़ी वजह से इंकार नहीं किया जा सकता। 90 फीसदी मुंह के कैंसर की वजह तम्बाकू ही है और अन्य पैंसर में भी 40 फीसद तम्बाकू ही वजह बनता है और इस पर इलाज के रूप में हर साल एक लाख करोड़ रुपए का खर्च होता है। इस नोटिफिकेशन के बाद निश्चित रूप से तम्बाकू निर्माता अदालत की शरण में  जाएंगे। जो लोग तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं उनका मानना है कि खाना या न खाना यह उनका व्यक्तिगत फैसला है और इसमें कोई सरकारी दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। इनका मानना है कि सरकार का काम बस इतना है कि वह इन उत्पादों के सेवन से होने वाले नुकसानों को बताए प्रतिबंध न लगाए। फिर सरकार के पास ऐसी न तो कोई मशीनरी है और न ही मैन पॉवर है जो इस प्रतिबंध को लागू करा सके। फिर भी देखें कि इस बार इस प्रतिबंध का क्या होता है?

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