Friday, 22 April 2016

कोट लखपत जेल कब्रगाह बनकर रह गई है

पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से शायद ही कभी बाज आए। बस सवाल यही है कि वह कितना गिर सकता है। मानवता नाम की तो कोई चीज पाकिस्तान के बर्ताव में कोई स्थान नहीं रखती है। कोट लखपत जेल में भारतीय कैदी कृपाल सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के 10 दिन बाद उसने मंगलवार को उसका शव भेजा। 21 साल से भारत की वापसी की राह देख रहे कृपाल सिंह परदेसी ने 11 अप्रैल को कोट लखपत जेल में आखिरी सांस ली थी। भारत पहुंचने पर कृपाल के शव का अमृतसर मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किया गया। इसमें पता चला कि पाक डाक्टरों ने शव से पहले ही दिल व लीवर निकाल लिया था। शव का लाहौर में भी पोस्टमार्टम हुआ था। पाक ने कृपाल की मौत हार्ट अटैक से  बताई थी, जिसके लिए हार्ट व लीवर निकाला गया। अंदरूनी अंगों का बिसरा निकालकर लैब में भेज दिया गया, जहां स्पष्ट होगा कि उन्हें जहर देकर तो नहीं मारा गया? मई 2013 में पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह का शव भी दिल और दोनों किडनी निकालकर भेजा था। कृपाल सिंह के भतीजे अश्विनी ने दावा किया कि उसके चाचा कोट लखपत जेल में सरबीजत सिंह पर हुए हमले के चश्मदीद गवाह थे। पाकिस्तान सरकार को आशंका थी कि कृपाल सिंह की रिहाई के बाद सरबजीत पर हुए हमले का सच बाहर आ जाएगा, इसलिए एक षड्यंत्र के तहत कृपाल सिंह की हत्या की गई है। दरअसल पाकिस्तान की कोट लखपत जेल कब्रगाह बनकर रह गई है। यहां पिछले तीन वर्षों में तीन भारतीयों की निर्मम हत्या हुई है। जनवरी 2013 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ निवासी चमेल सिंह की इसी जेल में कैदियों ने पीट-पीटकर हत्या की थी। सरबजीत सिंह की भी कोट लखपत जेल में हमला कर हत्या की गई थी। आशंका है कि अब कृपाल को भी जेल में पीट-पीटकर ही मारा गया है। पाकिस्तान सरकार ने चमेल सिंह की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया था और अब कृपाल सिंह की मौत भी हार्ट अटैक से बताई जा रही है। शव की हालत देख कृपाल के परिजनों ने पाक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। परिवार ने कृपाल की हत्या की आशंका जताई है। उनका कहना है कि शव के चेहरे और शरीर पर चोट के निशान हैं। पाकिस्तान जेल में मरे कृपाल सिंह के शव के साथ आए सामान में एक खत भी मिला, जो उसने मौत से पहले परिवार को लिखा था पर पोस्ट नहीं कर पाया। खत में वह परिवार से अपील कर रहा था कि उससे मिलने आओ या उसे यहां से निकालने के लिए कोई वकील करो। वह बेकसूर है और उसे जबरन फंसाया जा रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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