यह शायद पहला ऐसा मौका है जब किसी आतंकी हमले की जांच
के सिलसिले में उसी देश की जांच टीम आई हो,
जहां से यह हमला हुआ था। मैं बात कर रहा हूं पाकिस्तानी जांच टीम की
जो पठानकोट एयरबेस हमले की जांच करने भारत आई है। उल्लेखनीय है कि इसी साल जनवरी में
पठानकोट एयरबेस पर एक आतंकी हमला हुआ था और पता नहीं कि भारत सरकार इस हमले की जांच
करने के लिए पाकिस्तानी टीम को आज्ञा देकर क्या हासिल करेगी? इस टीम में आईएसआई के अफसर भी होंगे। बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान इस
हमले या किसी और आतंकी हमले जो उसकी सरजमीन से किए गए हैं उसे लेकर संजीदा भी है और
क्या उसे तर्पसंगत परिणति तक ले जाने को तैयार है? और अगर इतिहास
बताता है कि पाकिस्तान से सच्चाई कबूल करने और उसके अनुरूप कदम उठाने की उम्मीद नहीं
की जा सकती तो यह व्यर्थ की कवायद क्यों की जा रही है। संभव है कि कांग्रेस और आम आदमी
पार्टी खुद को भारतीय जनता पार्टी से अधिक राष्ट्रवादी दिखाने की होड़ में पाकिस्तान
के संयुक्त जांच दल के इस दौरे का विरोध कर रही हो पर भाजपा की सहयोगी शिवसेना भी तो
विरोध कर रही है। किन्तु अनेक निष्पक्ष सुरक्षा विशेषज्ञों की राय भी यही है कि भारत
की इस सदाशयता से कोई ठोस लाभ नहीं होगा। इस विडंबना पर सहज ध्यान जाता है कि पठानकोट
में आतंकी हमले के बाद जुटाए गए साक्ष्यों की पुष्टि के लिए भारतीय जांचकर्ताओं ने
पाकिस्तान जाने की इजाजत मांगी थी। इसके लिए बाकायदा कोर्ट से अनुरोध-पत्र जारी करवाने की प्रक्रिया पूरी की गई। इससे संबंधित भारत की अर्जी-पत्र पाकिस्तान में विचाराधीन है, जबकि पाकिस्तान की
किसी अदालत से जारी वैसा अनुरोध-पत्र भारत को प्राप्त नहीं हुआ।
इसके बावजूद भारत ने पाकिस्तानी जांच दल को भारत आने की अनुमति दे दी। जाहिर है कि पाकिस्तानी दल के मौजूदा दौरे
का कोई न्यायायिक आधार नहीं है। ऐसे में अगर वह किसी साक्ष्य को स्वीकार कर ले,
तब भी पाकिस्तान में उसकी कोई कानूनी मान्यता होगी, यह कहना कठिन है। इससे भी बड़ा प्रश्न मंशा का है। पाकिस्तान ने भारतीय जांच
एजेंसियों के जुटाए सबूतों के आधार पर कार्रवाई करने की बजाय उनकी खुद पुष्टि करने
पर जोर दिया है। फिर भारत आए इस दल में कुख्यात आईएसआई के एक अधिकारी को भी शामिल किया
गया है। इससे सुरक्षा हल्कों में चिन्ता बढ़ना स्वाभाविक ही है। पाकिस्तानी टीम मंगलवार
सुबह एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विशेष विमान से अमृतसर पहुंची। उसे बुलैट-प्रूफ एसयूवी में पठानकोट लाया गया। वहां से मिनी बस में उन्हें पिछले दरवाजे
से अंदर ले जाया गया। एमटी यूनिट तथा मैस के उस हिस्से को दिखाया गया जहां आतंकी हमला
हुआ था। इस दौरान एयरबेस के बाकी हिस्सों को सफेद टेंट लगाकर ढका गया था। जांच टीम
कथलौर पुल भी गई जहां टैक्सी ड्राइवर एकाग्र सिंह की हत्या हुई थी। आतंकियों का रूट
भी देखा जिस पर बढ़कर आतकियों ने दो जनवरी को एयरबेस पर हमला किया था और टीम ने एरबेस
के उस हिस्से को भी देखा जहां सुरक्षा बलों से आतंकियों की 80 से ज्यादा घंटे मुठभेड़ हुई थी। इस बीच एयरबेस के दरवाजे पर कांग्रेस-आम आदमी पार्टी
और शिवसेना कार्यकर्ताओं ने `गो बैक' के
नारे भी लगाए। शाम को दिल्ली लौटने के बाद जेआईटी ने फिर एनआईए अफसरों से अगले दौरे
की चर्चा की। एनआईए के एक अधिकारी ने कहाöजेआईटी ने वास्तविक कारणों और सबूतों
को समझा। उनकी समझ साफ हुई है। अलबत्ता, अपनी जांच टीम की इस
यात्रा के जरिये पाकिस्तान की ज्यादा दिलचस्पी दुनिया को यह दिखाने में होगी कि वह
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक विश्वसनीय साझेदार है और उसकी मंशा पर शक नहीं किया
जाना चाहिए। शायद भारत का मानना होगा कि उसने पाकिस्तान को एक मौका दिया है,
आतंकी गुटों के खिलाफ अपनी सक्रियता साबित करने और यह भरोसा दिलाने का
कि उसके साथ नई शुरुआत हो सकती है।
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