इशरत
जहां मामले में पूर्व गृहमंत्री पी.
चिदम्बरम की पोल खुल गई है। यह बेहद शर्मनाक है कि तत्कालीन केंद्रीय
गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने ही पहले उस हलफनामे को मंजूरी दी थी
जिसमें इस युवती को आतंकी बताया गया था और फिर बाद में उसे वापस लेकर वह हलफनामा तैयार
कराया गया था जिसमें उसे निर्दोष करार दिया गया था। ताजा दस्तावेजों से साफ हुआ है
कि इशरत को आतंकी बताने वाले पहले हलफनामे को गृहमंत्री रहते हुए चिदम्बरम ने ही हरी
झंडी दी थी। मगर एक माह बाद दूसरे हलफनामे में उसे निर्दोष बताया था। गृह मंत्रालय
की फाइल के मुताबिक इशरत जहां के आतंकी होने और उसके लश्कर के आत्मघाती दस्ते का सदस्य
होने का दावा करने वाले हलफनामे को खुद चिदम्बरम ने 29 जुलाई
2009 को हरी झंडी दी थी। लेकिन एक माह के भीतर ही नया हलफनामा दाखिल
करने का आदेश दिया। दूसरे हलफनामे में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से बदलाव किए थे। इस
मामले की गहन जांच ही होनी चाहिए बल्कि इसकी भी कि वे ऐसा फर्जीवाड़ा आखिरकार कैसे
कर सके? ऐसा इसलिए जरूरी भी है क्योंकि यदि देश का गृहमंत्री
किसी मुख्यमंत्री का, वरिष्ठ पुलिस व सुरक्षा अफसरों का कैरियर
तबाह करने के लिए इस हद तक जा सकता है तो फिर अन्य किसी के खिलाफ तो वह हर तरह का कुचक्र
रच सकता है। इस फर्जीवाड़ा के कारण भारत की दो प्रमुख जांच एजेसियां आईबी और सीबीआई
आमने-सामने आ गईं। इसके कारण वरिष्ठ गुजरात पुलिस के डीजी वंजारा
को आठ वर्ष जेल में रहना पड़ा। वोट बैंक की खातिर कांग्रेस कितनी गिर सकती है इससे
पता चलता है। चिदम्बरम ने जो कुछ किया उसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रजामंदी भी रही होगी। एक आतंकी को निर्दोष बताना,
ईमानदार अफसरों को झूठ के पुलिंदे में जबरन लपेटना छल-कपट के साथ-साथ आपराधिक कृत्य भी है। क्या इससे लज्जाजनक
और कुछ हो सकता है कि सत्तारूढ़ सरकार और उसके वरिष्ठ मंत्री ही संवैधानिक गरिमा को
तार-तार करें? चिदम्बरम ने इतना ही नहीं
किया। उन्होंने अंध नरेंद्र मोदी विरोध से ग्रस्त होकर एक तरह से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मन मुताबिक काम किया, क्योंकि वह भी यही चाहता था कि इशरत जहां को आतंकी के तौर पर न जाना जाए। चिदम्बरम
के साथ-साथ मीडिया के कुछ लोगों का भी इस षड्यंत्र में पर्दाफाश
हो गया है। इन लोगों ने मिलकर पिछले कुछ वर्षों से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को नुकसान
पहुंचाया है वह सबके सामने है। कांग्रेस पार्टी और चिदम्बरम इतना कुछ साबित होने के
बावजूद अपने आपको निर्दोष बता रहे हैं। इसलिए मामले की पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए।
-अनिल नरेन्द्र
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