Thursday, 15 April 2021

कुरान की 26 आयतों को हटाने की मांग वाली याचिका खारिज

देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी धार्मिक ग्रंथ में दखल देने से साफ इंकार कर दिया है। कुरान की 26 आयतों को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली बताने को लेकर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। जस्टिस रोहिंग्टन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उक्त याचिका निराधार है और बिल्कुल फिजूल तरह की है। इस तरह की याचिकाएं अदालत का समय बर्बाद करती हैं, इसलिए हम याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगा रहे हैं। सोमवार को हुई सुनवाई में रिजवी के वकील आरके रायजादा की तमाम दलीलें कोर्ट ने खारिज कर दीं। इस मामले में यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि कुरान की 26 आयतों को बहुत बाद में कुरान में जोड़ा गया था। इन आयतों में गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा को प्रेरित करने वाली बाते हैं, जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है। यह आयतें देश की एकता, अखंडता और भाईचारे के लिए खतरा हैं। याचिका में यह भी कहा गया था कि कुरान की इन 26 आयतों की इन दिनों गलत तरीके से व्याख्या की जा रही है। इसका हवाला देकर इंसानियत के मूल सिद्धांतों की अवहेलना और धर्म के नाम पर नफरत फैलाई जा रही है तथा खूनखराबा हो रहा है। मदरसों में इन आयतों की शिक्षा देने पर रोक लगाने के आदेश जारी किए जाने चाहिए। इसके अलावा रिजवी की याचिका में इन आयतों को पवित्र किताब से हटाने का आदेश देने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस नरीमन ने रिजवी के वकील से पूछा कि क्या आप इस याचिका के प्रति गंभीर हैं? इस पर रायजादा ने कहा कि वह मदरसा शिक्षा के नियमन तथा प्रार्थना को सीमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ आयतों की शाब्दिक व्याख्या ने गैर-विश्वासियों के खिलाफ हिंसा का प्रचार किया है, बच्चों को मदरसों में बंदी बनाकर रखा जाता है। इन उपदेशों का विचारों के बाजार में स्थान नहीं हो सकता। मैंने केंद्र को कार्रवाई के लिए लिखा है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस पर केंद्र सरकार और मदरसा बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए बुलाया जा सकता है कि हिंसा की वकालत करने वाले छंदों के शाब्दिक शिक्षण से बचने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? हालांकि जस्टिस नरीमन की बैंच की मामले पर विचार करने की इच्छुक नहीं थी। उन्होंने याचिका को बिल्कुल तुच्छ करार देते हुए 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए इसे खारिज कर दिया। याचिका दायर करने के बाद से रिजवी का कड़ा विरोध हो रहा है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करार दिया है। वहीं शिया और सुन्नी, दोनों ही समुदाय रिजवी को मुस्लिम समुदाय से निकाले जाने की घोषणा कर चुके हैं। बरेली में उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस भी दर्ज हुआ। मुरादाबाद के एक वकील ने रिजवी का सिर काटने पर 11 लाख रुपए इनाम की घोषणा की थी।

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