Thursday, 29 April 2021

हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज फिर बन सकेंगे जज

देश के न्यायिक इतिहास में संभवत पहली बार देशभर के हाई कोर्टों में जजों की तदर्थ नियुक्ति होगी। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 224ए के तहत एड-हॉक जजों की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज दो से तीन साल तक दोबारा जज का पद्भार ग्रहण कर सकेंगे। चीफ जस्टिस शरद अरविन्द बोबड़े, जस्टिस संजय किशन कौल और सूर्यकांत की बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि हाई कोर्ट में रिक्त पदों की तादाद 20 प्रतिशत से अधिक है तो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राष्ट्रपति से तदर्थ जज की नियुक्ति को सिफारिश कर सकते हैं। एक नियुक्ति दो से तीन साल के लिए होगी और एड-हॉक जज को हाई कोर्ट के जज के लिए निर्धारित वेतनमान मिलेगा। यदि तदर्थ जज के लिए सरकारी आवास का प्रबंध नहीं हो पाता है तो उसे नियमों के अनुसार हाउसिंग भत्ता दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने लोक-प्रहरी बनाम भारत सरकार के मामले में यह निर्णय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पेंन्डिग मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है तो ऐसे मामलों को निपटाने के लिए चीफ जस्टिस अपनी संवैधानिक शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं। चीफ जस्टिस यह अनुमान लगा सकते हैं कि हाई कोर्ट में लंबित केस की तादाद लगातार बढ़ रही है और उनके निपटारे के लिए रेग्युलर जज की नियुक्ति नहीं हुई तो संविधान के अनुच्छेद 224ए के तहत राष्ट्रपति से तदर्थ नियुक्ति की अनुमति हासिल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न सिर्फ सेवानिवृत जज ही नहीं बल्कि अवकाश ग्रहण करने की कगार पर खड़े जजों को भी एड-हॉक जज नियुक्त किया जा सकता है। तदर्थ जज की नियुक्ति के लिए उसका पुराना रिकॉर्ड देखा जाएगा। यदि उसने अपने कार्यकाल में मुकदमों का तेजी से निपटारा किया तो उसे तरजीह दी जाएगी। एक हाई कोर्ट में दो से पांच जज तदर्थ रूप से नियुक्ति किए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में जजों के 40 प्रतिशत से अधिक पद खाली पड़े हैं, 25 हाई कोर्ट में जजों के 1080 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इस समय 664 जज कार्यरत हैं। 416 पद रिक्त पड़े हैं। 196 जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। 220 की सिफारिश की जानी बाकी है। हाई कोर्ट कोलेजियम 45 जजों की नियुक्ति की सिफारिश छह माह पहले कर चुका है। केंद्र सरकार के पास यह सिफारिश छह माह से पेंन्डिग है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 10 नामों की सिफारिश की है, जिस पर सरकार ने निर्णय नहीं लिया है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम छह नामों की सिफारिश दो बार कर चुके हैं। उस पर भी केंद्र निर्णय नहीं ले रहा है जबकि कोलेजियम के दोबारा सिफारिश करने पर सरकार जज की नियुक्ति के लिए बाधा है।

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