Saturday, 24 April 2021
आर्थिक हित मानव जीवन से ऊपर नहीं हो सकते
उच्च न्यायालय ने कोविड-19 मरीजों के लिए राजधानी में ऑक्सीजन की कमी को अत्यंत गंभीरता से लिया है। अदालत ने कहा कि आर्थिक हित मानव जीवन से ऊपर नहीं हो सकते, उद्योग इंतजार कर सकते हैं, मरीज नहीं। कोविड-19 रोगियों को ऑक्सीजन प्रदान करने के लिए इस्पात और पेट्रोलियम उत्पादन में कुछ कमी का सुझाव भी दिया। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्र ने बताया कि फिलहाल दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है। कुछ उद्योगों को छोड़कर ऑक्सीजन के अन्य तरह के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। खंडपीठ ने इससे पूर्व कहा था कि उद्योग बिना ऑक्सीजन के रुक सकते हैं लेकिन कोविड मरीज नहीं। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि यदि लॉकडाउन जारी रहता है तो सब कुछ रुक जाएगा। इसलिए ऐसी स्थिति में स्टील, पेट्रोल और डीजल की क्या जरूरत होगी? अदालत ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान विकास का क्या होगा और ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए 22 अप्रैल तक इंतजार क्यों किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि कमी अब है, आप स्टील और पेट्रोलियम उद्योगों से कुछ ऑक्सीजन लेकर देखें। वह बड़ी लॉबी है। उन्हें बताएं कि उत्पादन में कटौती करने है तो फिर वह उत्पादन में कटौती कर सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि सबसे पहले लोगों की जान बचानी होगी। अदालत ने केंद्र सरकार को एक वकील का उदाहरण दिया जिसके पिता अस्पताल में भर्ती थे और ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के कारण उसे इसके संरक्षण के लिए कम दबाव पर ऑक्सीजन मुहैया कराई जा रही थी। अदालत ने चेतावनी देते हुए कहाöयदि अब भी कुछ नहीं किया गया तो हम एक बड़ी आपदा की ओर जा रहे हैं। करीब एक करोड़ लोगों को हम खो सकते हैं, क्या हम उसे स्वीकार करने को तैयार हैं? अदालत ने उन अस्पतालों में कोविड बैड बढ़ाने का भी सुझाव दिया, जिनमें अपनी ऑक्सीजन पैदा करने की क्षमता है। इससे पहले उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि क्या उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति कम करके उसे वह मरीजों को मुहैया कराई जा सकती है? अदालत ने कहा कि उन्होंने सुना है कि गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को कोविड-19 के मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन मजबूरी में कम करनी पड़ रही है क्योंकि वहां जीवनरक्षक गैस की कमी है। केंद्र ने कहा कि दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता बढ़ाने की खातिर पीएम केयर्स फंड से आठ प्रैशर स्विंग अडसॉर्पशन (पीएएस) ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। उसने कहा कि इन संयंत्रों की मदद से मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता 14.4 मीट्रिक टन बढ़ जाएगी।
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