Saturday 17 April 2021
ढाबा खोलकर पिता बोलाöबेटा खोया है, हौंसला नहीं
कश्मीर में सक्रिय जेहादियों के एजेंडे की हार का संकेत देते हुए कृष्णा वैष्णो भोजनालय बैसाखी और नरवात्रि (कश्मीरी पंडितों का नव वर्ष) के मंगल मौके पर फिर से लोगों की श्रद्धा शांत करने में जुट गया है। सैलानियों को भोजन परोसने में व्यस्त रमेश कुमार के चेहरे पर बेटे का गम तो है, लेकिन हौंसले अडिग हैं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति व संकल्प की लकीरें बता रही हैं कि वह हार मानने वालों में नहीं, बल्कि दुखों को समेट जंग जीतने वालों में हैं। 17 फरवरी 2021 को कृष्णा ढाबा उस समय सुर्खियों में आया जब तीन स्थानीय आतंकियों ने ढाबे में घुसकर गोलियां बरसाई थीं। इस घटना में ढाबा मालिक रमेश कुमार के पुत्र आकाश मेहरा गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां कुछ दिन जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद आकाश ने 28 फरवरी को अंतिम सांस ली थी। रमेश मूलत जम्मू के रहने वाले डोगरा हिन्दू हैं, जो बरसों से कश्मीर में रह रहे हैं। चंद दिन बाद पुलिस ने तीनों आतंकियों को पकड़ लिया, लेकिन ढाबा बंद रहा। ऐसा लगने लगा कि यह अब नहीं खुलेगा और जेहादी अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। मगर मंगलवार को कृष्णा वैष्णो भोजनालय खुलने के बाद देखते ही देखते भोजन के इच्छुक सैलानियों की भीड़ से भर गया। इस परिवार ने हिम्मत नहीं हारी और फिर से ढाबा खोलकर लोगों को यह संदेश दिया कि वह कश्मीर को कभी भी छोड़ने वाले नहीं हैं। रमेश कुमार ने इस अवसर पर कहा कि आज फिर से उन्होंने अपना काम शुरू किया है। वह यहां पर सुरक्षित हैं। यह वह जगह है, जहां उनका जन्म हुआ। यहीं पर उनका पालन-पोषण हुआ और वह कभी भी कश्मीर छ़ोड़ने वाले नहीं हैं। हम रमेश की बहादुरी को सलाम करते हैं और इनकी बहादुरी से उन आतंकियों को स्पष्ट संकेत दिया है कि आपकी दहशत की हम परवाह नहीं करते, हम यहां ही रहेंगे।
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