Saturday, 10 April 2021

धधकते जंगल क्लाइमेंट चेंज का नतीजा

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग महज एक संयोग है या फिर पहाड़ों के गरम होते मौसम का नतीजा? विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जंगलों में आग लगना असामान्य नहीं है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अब जंगलों में आग लगने की घटनाएं तब हो रही हैं जब गर्मी का मौसम चरम पर नहीं पहुंचा। इसलिए इसका संबंध ग्लोबल वॉर्मिंग से जुड़ता है। गर्मी बढ़ रही है, पेड़-पौधे ज्यादा सूख रहे हैं। धरती का पानी सूख रहा है, टूटे पत्ते जल्दी सूख रहे हैं और सूखे पत्ते भी आग लगने का सबब बनते हैं। भारत में भी इस सबका असर साफ दिख रहा है। 2020 में भी देश के चार राज्यों के जंगलों में आग की बड़ी घटनाएं हुईं। यह राज्य थेöउत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और नागालैंड। सेंटर फॉर बॉयोडायवर्सिटी एंड कंजर्वेशन के वरिष्ठ फैलो डॉक्टर जगदीश कृष्णास्वामी के अनुसार आजकल देश के कुछ हिस्सों में मौसम बहुत गरम है। तेज गर्मी के चलते वहां पहाड़ों पर उगने वाले झाड़-फंकार के सूख जाने से शुष्क ईंधन की उपलब्धता इन ]िदनों बढ़ गई है और उसकी उपलब्धता से प्रज्जवलन और ज्वलनशीलता की संभावना है। इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड में सर्दियों में बारिश घटी है। बारिश 50 मिलीमीटर की जगह महज 10 मिलीमीटर ही हो रही है। हिमाचल क्षेत्र में ग्लोबल वॉर्मिंग की दर सबसे ज्यादा है। मानसून की बारिश का अभाव वहां मौजूद वनस्पति को सूखा कर ज्वलनशील ईंधन में तब्दील करने के लिए काफी है। -अनिल नरेन्द्र

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