Saturday, 3 April 2021

छोटे दल कर सकते हैं बड़ा धमाका

असम में पहले चरण का मतदान हो गया है। बंगाल के चुनाव में बेशक शोरगुल भले ही सबसे अधिक हो, लेकिन असम का चुनाव भी कम अहमियत नहीं रखता। असम में मुकाबला त्रिकोणीय है, लेकिन हकीकत यह है कि असम में छोटे दल भी चुनाव परिणाम पर बड़ा असर डाल सकते हैं। असम में भाजपा नेतृत्व वाला गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ सीधी टक्कर में दिख रहा है। एक तीसरा मोर्चा स्थानीय पार्टियों एजेपी और आरडी का भी है। इन गठबंधनों के साथ असम की छोटी क्षेत्रीय पार्टियों की मौजूदगी का असर इस पूर्वोत्तर राज्य के चुनाव परिणाम पर देखने को मिल सकता है। सबसे पहले बात करते हैं कि कौन-सी क्षेत्रीय छोटी पार्टी इस चुनाव में भाजपा का समर्थन कर रही हैं। इस पार्टी का नाम है यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल)। यह असम के बोडोलैंड क्षेत्र की पार्टी है और पिछले साल बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) में भाजपा के साथ इसने हाथ मिलाया था। पार्टी के मुखिया ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद बोरो हैं जिन्हें केंद्र और बोडो समूहों के बीच शांति समझौते में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। यूपीपीएल इस बार के चुनाव में भाजपा के साथ है और आठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। रोचक बात यह है कि पार्टी प्रदेश की तीन सीटों पर भाजपा के साथ दोस्ताना मुकाबला भी करेगी। असम में कांग्रेस गठबंधन की बात की जाए तो छोटी क्षेत्रीय पार्टी के रूप में उसके पास बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट यानि बीपीएफ का साथ है। बीपीएफ बोडोलैंड क्षेत्र की एक प्रभावशाली पार्टी है और पूर्व में भाजपा की साझेदार रह चुकी है। इसके मुखिया हेगरामा मोहिलारी हैं, जिन्होंने इस बार कांग्रेस का हाथ थामने का फैसला किया है। कांग्रेस के खेमे में आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) भी एक ऐसी ही क्षेत्रीय पार्टी है जो असम चुनाव पर असर डाल सकती है। राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भूयन के नेतृत्व वाली एजीएम इस बार कांग्रेस गठबंधन की तरफ से दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। असम की विधानसभा में बीपीएफ के पास 12 सीटें हैं। इस पार्टी की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि पिछले साल दिसम्बर में बीटीएस में 40 सीटों पर हुए चुनाव में बीपीएफ ने सबसे अधिक 17 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में दूसरे नम्बर पर यूपीपीएल थी जिसे 12 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को नौ और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। भाजपा और कांग्रेस के अलावा असम में एक तीसरा मोर्चा भी सक्रिय है। असम जातीय परिषद (एजेपी) और रायजोर दल (आरडी) ने मिलकर एक गठबंधन इस बार असम के चुनाव में बनाया है। यह दोनों ही पार्टियां सीएए विरोधी आंदोलन की देन है। एजेपी को असम के दो सबसे प्रभावशाली छात्र संगठनों ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और असम जाति मतावादी युवा छात्र परिषद का समर्थन हासिल है। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व महासचिव लुरिनज्योति गोगोई एजेपी का नेतृत्व कर रहे हैं। दूसरी तरफ रायजोर दल का गठन बीते साल कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने 70 अन्य संगठनों के साथ मिलकर स्थानीय समुदायों के प्रतिनिधित्व के लिए किया था। कुल मिलाकर असम में यह छोटे दल व गठबंधन दोनों भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं। देखना यह है कि असम में कौन-सा गठबंधन ज्यादा हावी होता है।

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