Thursday, 22 April 2021

कंधा देने वाले चार लोग भी नहीं मिले

गोरखपुर शहर में पिता की मौत के बाद शिक्षक बेटे ने भी कोरोना में दम तोड़ दिया। शव अस्पताल से घर पहुंचा तो खौफ में पड़ोसियों ने दरवाजे बंद कर लिए गए। किसी ने झांका तक नहीं। शिक्षक के भाई और भतीजे भी संक्रमित हैं। एक भाई की हालत गंभीर है। कंधा देने वाले चार लोग भी नहीं। अंतिम संस्कार का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में पृथक्वास में रहने वाले दूसरे मोहल्ले के एक व्यक्ति को जानकारी मिली। उसने फोन कर प्रशासन को सूचना दी तब छह घंटे बाद शव वाहन पहुंचा। पिता को मुखाग्नि देने वाले संक्रमित भाई ने राप्ती तट पर शिक्षक का भी अंतिम संस्कार किया। इंसानियत को झकझोर देने वाली यह घटना गोरखपुर शहर के रामजानकी नगर की है। 12 अप्रैल को कॉलोनी में रहने वाले रिटायर बिजली कर्मचारी के घर मौत ने दस्तक दी। रिटायर बिजली कर्मी चल बसे। परिवार के मुताबिक उनकी रिपोर्ट नेगेटिव थी लेकिन लक्षण कोरोना वाले ही थे। ऐसे में शिक्षक बेटे ने अपनी और दोनों भाइयों व बच्चों को 11 अप्रैल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जांच कराई जिनकी रिपोर्ट पिता की मौत के एक दिन बाद पॉजिटिव आई थी। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद परिवार होम आइसोलेशन में था। इस सदमे से परिवार अभी उबर नहीं पाया था कि गुरुवार देर रात शिक्षक की हालत बिगड़ गई। शुक्रवार तड़के संक्रमित भाई और भतीजे उन्हें ऑटो में एचएन सिंह चौराहे के पास एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत बताया। यहां से बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां हॉस्पिटल के सामने एंबुलैंस ड्यूटी में तैनात टेक्नीशियन ने भी मृत बताया तब सुबह सात बजे शव को लेकर घर आ गए। इसके बाद ही देखते ही देखते आसपास के घरों ने अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लीं। दोपहर तक शव घर पर ही रहा। इसी बीच कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले विजय श्रीवास्तव को इसकी जानकारी मिली। भाई के संक्रमित होने से खुद को घर में आइसोलेट कर चुके विजय ने फोन से प्रशासनिक अफसरों को सूचना दी। इसके बाद दोपहर करीब एक बजे प्रशासन ने शव वाहन के साथ टीम को भेजा तब शव राप्ती तट पर ले जाया गया। पिता को मुखाग्नि देने वाले बड़े भाई ने छोटे का अंतिम संस्कार किया।

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