Thursday, 8 April 2021
ऐसे आरोपों को बिना जांच के नहीं छोड़ा जा सकता
पिछले कई दिनें से चल रहे विवाद में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों के बाद बाम्बे हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश देने के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के पास अपने पद से इस्तीफा देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प बचा ही नहीं था। हाई कोर्ट ने सीबीआई को देशमुख के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि देशमुख के खिलाफ पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों ने पुलिस पर नागरिकों के भरोसे को दांव पर लगा दिया है। राज्य के गृह मंत्री के खिलाफ लगाए गए ऐसे आरोपों को बिना जांच के नहीं रहने दे सकते। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में एक स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना जरूरी है जिससे लोगों का भरोसा कायम रहे। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे दोनों जजों ने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। पीठ ने कहा, यह कहा जाता है कि कोई भी समय को नहीं देख सकता, लेकिन कई बार समय हमें चीजों को अनदेखा होने से पहले उन्हें दिखा देता है। सच है। पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के वकील ने तर्क दिया कि समूचा पुलिस बल हत्सोत्साहित था और नेताओं के हस्तक्षेप के कारण दबाव में काम कर रहा था। इस पर पीठ ने पूछा कि अगर सिंह को देशमुख के कथित कदाचार की जानकारी थी तो उन्होंने मंत्री के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज नहीं कराई। एक अन्य याचिकाकर्ता जयश्री पाटिल ने पीठ को बताया कि उन्होंने स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत कराई थी, लेकिन उस पर कुछ एक्शन नहीं हुआ। वहीं राज्य सरकार के वकील ने कहा कि याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं है, उन्हें रद्द किया जाए। पिछले महीने पुलिस कमिश्नर के पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को खुली चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख एपीआई (अब निलंबित) सचिन वाजे सहित निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों को न केवल सीधे निर्देश देते हैं, बल्कि उन्होंने उनसे मुंबई के बार और रेस्तरां से सौ करोड़ रुपए की वसूली की मांग की है। परमबीर सिंह के आरोपों के बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के एक पूर्व जज की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई थी। मगर देशमुख पद पर बने हुए थे। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और भाजपा को राज्य सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया। वास्तव में जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक मिलने के मामले में वहां एक पुलिस अधिकारी की fिगरफ्तारी हुई थी, तभी से यह लग रहा था कि सबसे सुरक्षित आने जाने वाले इलाकों में कानून व्यवस्था का यह मामला तूल पकड़ सकता है। खासतौर पर पूर्व पुलिस कमिश्नर के पत्र के बाद अनिल देशमुख के राजनीतिक भविष्य को आशंकाएं खड़ी हो गई थीं। महाराष्ट्र की राजनीति में अनिल देशमुख कुछ वैसे नेताओं के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे जो एक छोटे अंतराल को छोड़ कर वहां की सरकार में खासी पैठ रखते रहे हैं। लेकिन अब उनके इस्तीफे के बाद देखना यह है कि जांच के बाद कैसी तस्वीर उभरती है। लेकिन अब इस्तीफे के बाद देखना यह है कि महाराष्ट्र सरकार की क्या स्थिति बनती है? हालांकि अगर हाईकोर्ट की समय-सीमा में जांच पूरी होती है तो हफ्ते के बाद इस मामले की गुत्थियां और ज्यादा स्पष्ट रूप से खुल सकती हैं। लेकिन ताजा घटनाक्रम पर बताने के लिए काफी है कि अब राज्य की राजनीति में सत्ता कायम रखने और उसे हासिल करने के लिए दांवपेच का नया दौर फिर से शुरू हो सकता है। देखना यह है कि सीबीआई जांच कितनी दूर तक जाती है, क्योंकि इस पर ही उद्धव ठाकरे सरकार का भविष्य टिका हुआ है।
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